सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

संपादकीय

 संपादकीय

"नाना  की  पत्रिका " के तीन वर्ष पूरे कर लेने पर आप सभी को बधाई देते हुए हमे बहुत हर्ष हो रहा है।   तीन  पूर्व 04/02/2014 को  हमने जब इस पत्रिका का पहला अंक प्रकाशित किया था तब  सिर्फ यही सोंचा था कि  इन्टरनेट पर छोटे बच्चों के लिए नियमित कोई हिंदी की पत्रिका नहीं है।  अतः एक  छोटे  बच्चों  के  लिए  अंतर्जाल  पर एक  नियमित पत्रिका  प्रकाशित  करना  चाहिए ।   दुनिया  बहुत  तेजी  से  विकास  कर  रही  है  ।   पढाई  लिखाई  में  इलेक्ट्रॉनिक  उपकरणो का  प्रयोग  तेजी से  होने  लगा  है  । स्कूलों  के  नोटिस  ,  होमवर्क  अंतर्जाल  से प्रसारित  होने  लगा है ।   कक्षा  चार - पाँच  के  बच्चे  अपने  प्रोजेक्ट में  इन्टरनेट  का  प्रयोग  कर रहे हैं ।  अब  आने वाली दुनिया एक तरह से पेपरलेस  हो जायेगी।   छोटे बच्चों का साहित्य , नानी दादी की कहानियाँ, फेरीटेल्स ,बालगीत , चुटकुले , पहेलियाँ आदि  बालसाहित्य  को  भी  इलेक्ट्रॉनिक  मीडिया  में  लाना  होगा ।

यह हमारा  छोटा सा प्रयास  लोगों  का  भरपूर सहयोग  मिल रहा  है  ।   देश  के  विभिन्न  क्षेत्रों से अच्छे  रचनाकारों   की रचनाएँ हमें  प्राप्त  हो रही है ।   चौथे वर्ष  के  प्रारंभ  से ही  हम छोटे बच्चों  को  अच्छी  रचनाएँ  प्रकाशित  करने के लिए  संकल्पित  हैं और  आपसे रचनात्मक  एवं  भावनात्मक  जुडाव   की  अपील  करते  हैं

                                  शरद  कुमार  श्रीवास्तव
                                 संपादक  

1 टिप्पणी:

  1. यह एक बहुत अच्छी पत्रिका है इसमें प्रकाशित गीत कविता कहानी आदि मनोरंजन के साथ साथ ज्ञान वर्धक भी है ।
    इसके सफल संपादन के लिए श्री शरद कुमार श्रीवास्तव जी को बहुत बहुत बधाई ।

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