गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

प्रिया देवांगन "प्रियू"  की रचना : डाकिया बाबू

डाकिया बाबू 









भरी दुपहरी डाकिया बाबू , चिठ्ठी लेकर आया ।
 अपनी चिठ्ठी ले लो बाबू , दरवाजे पर चिल्लाया ।
 कभी सुख तो कभी दुख का चिठ्ठी ले कर आता,।
 गर्मी सर्दी बरसातों में  अपना फर्ज निभाता ।
 दूर दूर की चिठ्ठी को वह, अलग अलग है करता ।
 सील मुहर लगा लगाकर, थैले में वह भरता ।
 जब तक बांट न ले वह चिठ्ठी , कभी आराम न करता।
 इस गली से उस गली तक, दिन भर घूमते रहता।









रचना  प्रिया देवांगन "प्रियू"  गोपीबंद पारा पंडरिया  जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email --priyadewangan1997@gmail.com

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