महेन्द्र देवांगन की रचना : बिल्ली मौसी
बिल्ली मौसी
म्याँऊ करते बिल्ली आई।
लगी चाटने दूध मलाई ।
डंडा लेकर मौसी आई ।
बिल्ली को वह खूब दौड़ाई ।
जान बचाकर भागी बिल्ली ।
देखकर चूहा उड़ाये खिल्ली ।
भागते भागते थक गई बिल्ली ।
पहुँच गई वह सीधी दिल्ली ।
महेन्द्र देवांगन "माटी"
पंडरिया छत्तीसगढ़
प्रकाशित करने के लिए बहुत बहुत बहुत धन्यवाद श्रीवास्तव जी
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