बच्चों आप जानते हो कि साझा काम किेंसे कहते हैं ? जब दो या कई लोग मिल कर एक काम को करें तो साझा काम कहते है। साझा काम मे पार्टनर लोगो को अपना अपना साझा लाभ / हानि भी मिलता है। साझा काम करने में सफलता तभी मिलती है जब सभी हिस्सेदारों की मेहनत बराबर की हो और नियत साफ हो । इसके लिए बच्चों हम आपको कौवे और मुर्गी की साझा खेती की कहानी सुनाते हैं
एक बार एक पेड़ पर एक कौवा रहता था . उस पेड़ के नीचे एक मुर्गी भी अपने बच्चों के साथरहती थी . मुर्गी बहुत मेहनती थी और कौवा बहुत चालाक था. कौवे ने एक बार मुर्गी से कहा ,बहन अगर हम साझा खेती करें तो कितना अच्छा हो. मुर्गी ने कहा हाँ , मिलजुल कर काम करने मे क्या बुराई है मै तैयार हूँ. कौवा बोला मै थोड़ा व्यस्त रहता हूँ जब कोई काम हो तब आप मुझे बुला लीजियेगा.
खेती करने के लिये जमीन की जुताई करने का समय आया . मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन की जुताई करवाओ आकर. कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं। मुर्गी ने खेतों की जुताई कर ली।
जब जमीन से घास पूस दूर करने का समय आया . मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन की खर पतवार हटवाओ , कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने खेतों से खर पतवार भी दूर कर दी.
अब खेत मे बीज डालने का समय आया . मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन मे बीज डाले जायें. कौवा फिर बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं। मुर्गी ने खेतों मे बीज भी बो दिये.
पौधे निकल आये तब सिचाई करने का समय आया . मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन की सिंचाई करवाओ आकर. कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने खेतों की सिंचाई कर ली.
खेतो मे लगे गेहूँ की बालियाँ काटने का समय आया . मुर्गी ने आवाज लगाई आओ गेहूँ कटवाओ . तब फिर कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने गेहूँ की कटाई भी कर ली
गेहूँ की बालियाँ से गेहूँ निकालने का समय आया . मुर्गी ने आवाज लगाई आओ गेहूँ निकलवाओ . तब फिर कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने गेहूँ की बालियों से गेहूँ भी निकाल लिया.
गेहूँ पीस कर आटा बनाने का समय आया . मुर्गी ने आवाज लगाई आओ गेहूँ पिसवाओ . तब फिर कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने गेहूँ पीस कर आटा भी बना लिया.
मुर्गी आटे से पूड़ी बनाने लगी तब फिर उसने आवाज लगाई आओ पूड़ी बनवाओ . तब फिर कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पेंर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं । मुर्गी ने आटा सान कर पूड़ी भी बना ली
जैसे ही पहली पूडी कड़ाई से निकली कौवा नीचे आगया. बोला लाओ पूड़ी लाओ बहुत भूख लगी है. मुर्गी नपे एक डंन्डाफेक कर कौवे को मारा कि काम कुछ नहीं किया पूडी बटाने आ गया. तुझे कुछ नहीं मिलेगा पूड़ी मैं खाऊंगी और मेरे बच्चे खाएगे । कौवा रोता हुआ वहाँ से भाग गया.
Wah wah...bahut dilchasp kahani...
जवाब देंहटाएंहलवा पूड़ी खाने के लिए जो मेहनत होती है उसकी समझ हहुत सुंदर ढंग से कहानी के माध्यम से रखना सराहनीय है ।
जवाब देंहटाएंबधाई !