जय गणेश
बुद्धि के वह देने वाला , सबका मंगल करते ।
भक जनों के संकट को, पल में दूर वह करते ।
एक दंत और लंबा उदर, सूपा जैसे हैं कान ।
जो भी मांगो सच्चे दिल से, रखता है वह ध्यान ।
चूहे की सवारी है और, लड्डू मोदक भाता ।
लिखने में वह तेज है, बुद्धि के वह दाता ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (छत्तीसगढ़ )
बहुत बढिया... बधाई हो सर जी
जवाब देंहटाएंसुंदर....
जवाब देंहटाएंबधाई....