फूल खिले हैं सुंदर सुंदर, सबके मन को भाये।
मनभावन यह उपवन देखो, तितली दौड़ी आये।।
सुबह सुबह जब चली हवाएँ, खुशबू से भर जाये।
रस लेने को पागल भौंरा, फूलों पर मँडराये।।
सुंदर सुंदर फूल देखकर, प्रेमी जोड़े आते।
बैठ पास में बालों उनकी, फूल गुलाब लगाते।।
बातें करते मीठे मीठे, दोनों ही खो जाते।
पता नहीं कब समय गुजरते, साँझ ढले घर आते।।
सभी लगाओ पौधे प्यारे, सुंदर फूल खिलाओ।
महक उठे यह धरती सारी, खुशियाँ सभी मनाओ।।
रचनाकार
महेन्द्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
बालसुलभ मनभावन पोस्ट....
जवाब देंहटाएंरचनाकार को बधाई...