हिन्दी मे बालसाहित्य के सृजन और प्रसारण अपने ब्लॉग '"नाना की पिटारी' " के माध्यम से दिनांक 04/02/2014 से कर रहा हूँ । इसे अंतर्जाल पर छोटे बच्चों के लिए पत्रिका का स्वरूप दिया । यह प्रकाशन निशुल्क और विज्ञापन रहित है और मेरे द्वारा विगत आठ वर्षों से प्रकाशित एवं सम्पादित की जा रहा है । अब यह पत्रिका नवम वर्ष मे प्रवेश कर रही है । इस पत्रिका को कोई भी व्यक्ति विश्व में कहीं भी, गूगल सर्च इंजन मे हिन्दी अथवा अंग्रेजी में 'नाना की पिटारी' लिख कर पत्रिका अंतर्जाल पर प्राप्त कर सकता है।
मैने ' नाना की पिटारी' पत्रिका के माध्यम से बालसाहित्य के लेखन और प्रसारण के लिए बहुत काम किया । मेरे द्वारा तथा विभिन्न आदरणीय लेखको और कवियों **द्वारा उत्कृष्ठ बालसाहित्य जैसे बाल कविताओं, बाल कथाओं , पहेलियों और चुटकुलों को आपके समक्ष प्रस्तुत किया गया है । 'शामू' धारावाहिक लम्बी कहानी, प्राचीन विश्व के सात अजूबे , नवीन विश्व के सात अजूबे, अपने नन्हे मुन्ने बच्चों के समक्ष प्रस्तुत किया है। पेरिस का इफेल टावर दिखाया और कभी बर्लिन की दीवार तो कभी जैसलमेर के रेगिस्तान की सैर कराई । हमारे महापुरुषों, हमारे पूर्वजों के बारे में भी बताया ।
बाल मन की उत्सुकता और उनके क्रिया को ध्यान में रख कर मैंने एक बाल चरित्र 'प्रिन्सेज डॉल' का सृजन किया है । ज्ञान वर्धक, बाल मनोरंजन प्रिन्सेज डॉल की 21( फेरीटेल्स) की बाल कथाओं की सीरीज एक रोचक पुस्तक को दो भागों में ताकि बच्चे बिना बोझ समझे स्वयं उठा कर पढ़ सके, लिखी और अलग से पुनः प्रकाशित कराई है । आपकी इसी पत्रिका से संग्रहित कर अपनी बालकविताओं को एक रंगीन आकर्षक पुस्तक "चीकू आशी पीहू इन्नू के बालगीत " का रूप देकर इसी वर्ष प्रकाशित कराया गया।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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डाक्टर प्रदीप शुक्ल, पशुपति पाण्डेय, सुशील शर्मा, श्री शादाब आलम ,वरिष्ठ साहित्यकार प्रभुदयाल श्रीवास्तव, महेंद्र सिंह देवांगन माटी (स्व) , वीरेन्द्र सिंह बृजवासी आदि
सुश्री अंजू जैन, प्रिया देवांगन प्रियू,,श्रीमती सुरभि श्रीवास्तव, श्रीमती मिथिलेश शर्मा, श्रीमती अर्चना सिंह जया आदि उल्लेखनीय हैं का मै आभार प्रकट कर रहा हूँ।
बहुत बहुत शुभकामनाएं। बेहद खुशी की बात है यह हमसब के लिए।
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