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रविवार, 7 जुलाई 2019

गर्मी बाल कविता सुशील शर्मा





गर्मी बहुत तेज है मम्मी।
छत पर खेल रही क्यों निम्मी।
सूरज मामा का मुँह लाल।
 मुँह पर ढकते सभी रुमाल।
सारी चिड़ियाँ चूँ चूँ करतीं।
 प्यासी प्यासी क्यूँ वो फिरतीं।
 रख दो मम्मी एक सकोरा।
साथ में दाना दुमका कोरा।



चिड़िया ने सब तिनके जोड़े
यहाँ घुसा कर वहाँ मरोड़े।
बुनकर एक घोंसला ताना।
लाई फिर वो चूजों को खाना।
 गर्मी से हम सब बेहाल।
 आइसक्रीम अब करे कमाल।
 चलो आम तोड़े हम कच्चे।
 करें धमाल सभी हम बच्चे।


                        सुशील शर्मा

शनिवार, 6 जुलाई 2019

मंजू श्रीवास्तव की कविता : गर्मी आई गर्मी आई








गर्मी आई,गर्मी आई...


गर्मी आई, गर्मी आई,
धूप की तपिश, लू भी आई |
दूर दूर तक कोई पेड़ नहीं है,
छांव का कहीं भी |नाम नहीं है
चढ़ता सूरज, तपती दुपहरी,
तन को कोई राहत नहीं है |
घर के अंदर कुछ राहत है,
बिन बिजली के वह भी घातक है|

कूलर, एसी देता कुछ आराम,
बिन बिजली के वह भी नाकाम |
तपती गर्मी मे जल का ही सहारा,
प्यास बुझे और तन भी रहे ठंडा|
अमरस, शरबत और ठंडाई,
आईस्क्रीम भी सबके मन भाई|
गर्मी आई, गर्मी आई
पानी पीकर प्यास बुझाई |




             मंजू श्रीवास्तव
              नोएडा

जीना सीखो ( कुकुभ छंद) : महेन्द्र देवांगन "माटी"




 





जीवन को तुम जीना सीखो , हर पल खुशी मनाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।

सिक्के के दो पहलू होते  , सुख दुख आनी जानी है ।
कभी खुशी तो गम भी आते , सबकी यही कहानी है ।।

होना नहीं उदास कभी भी , गीत खुशी के गाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी  ।।

भेदभाव अब करना छोड़ो  , सेवा का पथ अपनाओ ।
भूले भटके राह जनों को , सच्चे मारग दिखलाओ ।।

भूखे को भोजन देकर , प्यासे की प्यास बुझाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।

करते हैं जो सच्ची सेवा  , कभी नहीं दुख पाते हैं ।
मिलता है आशीष उसी को  , खुशियों से भर जाते हैं ।।

बाँटो प्रेम  सभी में साथी , हर पल प्यार लुटाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।

माटी का ये जीवन प्यारे  , माटी में मिल जायेगा ।
मिट जायेगी सारी हस्ती  , नाम यहीं रह जायेगा ।।

नेक काम सब करते जाओ , मन में पाप न लाओ जी ।
चाहे कितने संकट आये , कभी नहीं घबराओ जी ।।

 
महेन्द्र देवांगन "माटी" (शिक्षक) 
पंडरिया  (कवर्धा) 
छत्तीसगढ़ 
वाटसप 8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com