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गुरुवार, 12 जून 2025

इला और इमली : अंजू जैन गुप्ता

 





इम्फाल भारत के मणिपुर राज्य की राजधानी है।यह एक खूबसूरत शहर है। यहाँ पर इला नाम की एक लड़की थी । जिसका घर एक तीन मंजिला इमारत में था।  उसके घर के आंगन में इमली के इक्कीस पेड़ लगे हुए थे।  इला कभी भी उन इक्कीस पेड़ों का ध्यान नही रखती थी ।  वह उनको हमेशा नुकसान पहुँचाती रहती थी।  एक दिन इला की मम्मी  को अपने आफ़िस से घर वापिस आने में देर हो गई ।

 इला अपने विद्यालय से वापिस आ गई थी।  परन्तु इला अपनी मम्मी को घर नहीं आई थी ।   मम्मी को घर  पर न पाकर रोने लगी और रोते - रोते  नीचे इमली के बगीचे में चली गई  । तभी उसकी देखभाल के लिए रखी गई  इमसी दौड़ी- दौड़ी उसके पीछे आ गई और  बोली इला इधर आओ ,इधर आओ बोलते हुए नीचे आ गई ।

उनमें से एक पेड़ था इकवीर, वह इला को रोते हुए देखकर उससे पूछता है कि "इला इला तुम रो क्यों रही हो "?इला रोते-रोते कहती है," इकवीर मुझे भूख लगी है और देखो न मम्मा भी अभी तक नही आई हैं। मुझे सिर्फ उन्हीं के साथ खाना खाना है।"

इकवीर इला की बात सुनकर कहता है कोई नही इला तुम अपनी मम्मा का इंतज़ार करो उनकी इच्छा भी घर जल्दी आने की होगी अवश्य उन्हें कोई जरूरी काम आ गया होगा।  जब तक तुम्हारी मम्मा आती है तुम कुछ थोड़ा बहुत खा लो बाकी अपनी मम्मा के साथ खा लेना।इतना कहकर 

इकवीर इला को इमली खाने के लिए देता है ।वह कहता है इला लो इमली खा लो परंतु इला इंकार कर देती है ।वह कहती है मुझे नही खानी ।जब तक मेरी मम्मी नही आएगी मैं कुछ नही खाऊँगी और इतना कहकर वह रोना शुरू कर देती है मम्मा मम्मा ........ इकवीर रोती हुई इला के मुँह में झट से थोड़ी सी इमली डाल देता है जैसे ही वह इमली उसके मुहँ में जाती है इला चुप हो जाती है और कहती 

है wow! इमली तो कितनी अच्छी है मुझे थोड़ी और दो न ।इकवीर कहता है ये लो इला और ले लो , तुम अपनी मम्मी को बोलना इसकी चटनी बना देगी फिर तुम इमली की चटनी को इडली के साथ खाना बहुत स्वादिष्ट लगेगी।

इला कहती है इकवीर तुम सही कह रहे हो इमली तो बहुत अच्छी है । इला कहती है इकवीर मुझे माफ कर दो तुम सब  पेड़ तो कितने अच्छे हो ।हम इंसानो को कितना कुछ देते हो फल ,सब्जियाँ,तरह तरह की चीज़ें और ताज़ी हवा इत्यादि फिर भी मैं तुम्हारा कभी  ध्यान नही रखती थी।

मैं वादा करती हूँ कि अब से मैं तुम्हारा और सभी पेड़ों का ध्यान रखूँगी। इकवीर कहता है हाँ-हाँ इला तुम  सही कह रही हो अब से  मैं भी तुम्हरा मित्र हूँ । तुम जब चाहो मुझसे मिलने आ सकती हो।तभी इला की मम्मी आ जाती हैं। इला इकवीर को bye करती हैं और अपनी मम्मा के साथ  घर चली जाती है।



~ अंजू जैन गुप्ता

सोमवार, 9 जून 2025

ईशान और ईद : अंजू जैन गुप्ता

 



ईशान आज बहुत खुश है।वह आज जल्दी से उठकर तैयार हो जाता है और अम्मी-अम्मी को पुकारता हुआ अम्मी के पास  रसोई में चला जाता है।अम्मी ईशान को तैयार देख बहुत खुश हो जाती है और कहती है वाह !बेटा आज तो तुम इतनी जल्दी तैयार हो गए। ईशान कहता है हाँ अम्मी आज तो ईद है और आपने मुझे कही ले जाने का वादा किया था ना ,लो मैं तो तैयार हूँ । अब चलो कहाँ चलना है।  अम्मी कहती है चलो ईशान मैं भी तैयार हूँ  बस तुम्हारे अब्बू आ जाए फिर हम चलते हैं  । सबसे पहले ईशान अपनी अम्मी वह अब्बू के साथ ईदगाह जाता है वहाँ जाकर वह  सबके साथ ईद मनाता हैं।

अब ईदगाह से बाहर आते ही ईशान देखता है कि कुछ मजदूर  अपने हाथ में ईट लेकर जा रहे होते है वह पूछता है अम्मी ये मजदूर ईंटों का क्या करेगें    तब उसकी अम्मी उसे समझाती  है कि ईशान मजदूर इन ईंटों से मकान बह दुकानें आदि बनाते है ईंटों से बने हुए मकान पक्के और मजबूत होते  हैं । ईशान कहता है ok अम्मी समझ गया मैं, परंतु अब तो बता दो कि हम जा  कहाँ रहे है?   कुछ देर बाद अब्बू कहते है यह लो ईशान हम तो पहुँच भी गए , ईशान ईख के खेत के देखते ही उछलने लगता है और कहता है wow! यहाँ तो कितनी सारी ईख लगी हैं । किसान ईशान को ईख निकाल कर खाने के लिए देता है और कहता है ये लो ईशान तुम ईख खा लो ।ईशान किसान की बात सुनकर हँसने लगता है और कहता है काका इसे तो हाथी खाते है ये हमारे किस काम के ?उसकी ये बाते सुनकर उसके पिताजी उसे बताते है कि बेटा ईख को गन्ना कहते है और इसका प्रयोग चीनी , और गुड़ बनाने में किया जाता है।

गन्ने को आप ऐसे ही खा सकते हो ये फिर इसका जूस बना कर भी पी सकते हो।

इसका जूस पीने से तुम्हें ऊर्जा (energy) मिलती है व डिहाइड्रेशन भी नही होती है। ईख के जूस से हमारा पाचन तंत्र सही रहता है और यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity system)को भी मजबूत करता है।

अपने अब्बू की बात मानकर ईशान ईख ले लेता है और उसे छिलकर खाने लगता है।ईशान को गन्ना बहुत अच्छा लगता है। वह कहता है wow! अम्मी यह तो कितना मीठा और अच्छा है ।आप बहुत सारी ईख ले लो मैं घर जाकर खुद भी खाऊँगा और अपने सभी मित्रों को भी दूँगा।

अम्मी और अब्बू उसको यह बात सुनकर हँस देते हैं और ईशान को घर के लिए भी खूब सारी ईख दे देते है।



~अंजू जैन गुप्ता

रविवार, 8 जून 2025

-गंगा दशहरा : शरद कुमार श्रीवास्तव






पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव आजकल युवा पीढ़ी पर इतना   अधिक है  कि वह वैलेंटाइन डे के साथ  कोई न कोई डे हर  सप्ताह  खोज खोज कर मनाते है।   यह अपनी जगह एक अच्छी बात है ।  लेकिन भारत के तीज त्योहार और उनकी महत्ता को हम भुलाते जा रहे हैं । इसी संदर्भ में  हम  भारत से लुप्त हो रहे त्योहारों के बारे में जानकारी देने के लिये  गंगा दशहरा के बारे में यहां जानकारी दे रहे हैं । जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि  इस वर्ष 05/06/2025 अर्थात  5  जून को है।  इसे हम गंगा-दशहरा पर्व के रूप मे मना रहे हैं ।   कहते है पावन गंगा का अवतरण इसी दिन धरती पर हुआ था । आज के दिन भारतवासी गंगा में डुबकी लगाकर स्नान करते हैं। उसके उपरांत वे भगवान् का ध्यान और दान करते हैं । इससे उन्हें उनके पापों से मुक्ति मिल जाती है । अगर गंगा जी पास मे नहीं है तब किसी भी नदी में स्नान करने और भगवान् का ध्यान करते हुए दान करने से पाप दूर हो जाते है ।
स्कन्द पुराण में गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरित होने की कथा है, वह इस प्रकार है ।
एक बार अयोध्या के नरेश राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ करने के लिये एक घोड़ा छोड़ा । स्वर्ग के राजा इन्द्र को ईर्षा-वश राजा सगर का यह यज्ञ अच्छा नहीं लगा । उन्होंने अश्वमेध के लिए छोड़े हुए घोड़े को पकड़ कर पाताल लोक ले गये और कपिल मुनि के पास बांध दिया । इधर राजा सगर के अश्वमेध के घोड़े के गायब होने की खबर से चारों ओर खलबली मच गई । राजा सगर के सैनिक चारों तरफ दौड़े । राजा के साठ हजार सैनिक पाताल लोक में भी गये । वहाँ उन्हें अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा कपिल मुनि के समीप बंधा हुआ मिला । वे लोग यह देखकर चोर चोर कर चिल्लाने लगे । कपिल मुनि ने जब यह देखा तब उनके क्रोध से सारे साठ हजार सैनिक जलकर समाप्त हो गये । इन साठ हजार लोगों के उद्धार के लिए राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने घनघोर तपस्या की । उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने गंगा जी को धरती पर भेजने का निर्णय लिया । इसके पहले ब्रह्मा जी सुनिश्चित होना चाहते थे कि गंगा जी के वेग को धरती संभाल सकेंगी। ब्रह्मा जी ने भागीरथ जी से कहा कि वह भगवान् शिव को प्रसन्न करें ताकि वे गंगा जी को धरती पर अवतरित होने से पहले अपनी जटाओं में संभाल लें। धरती की भी स्वीकृति आवश्यक है । भागीरथ ने खूब तपस्या की और भगवान् शिव को खुश किया । भागीरथ ने अपने अथक प्रयास से गंगा जी को धरती पर लाकर अपने पुरखों का उद्धार किया । इसीलिए गंगा जी को भागीरथी भी कहा जाता है और पूरी चेष्टा से किये गये प्रयास को भागीरथी प्रयास भी कहा जाता है ।




                          शरद कुमार श्रीवास्तव 

खुशी एक परिचय: रचना अंजान

 



बहुत  दिन  बाद 

पकड़  में  आई...

*खुशी*...तो  पूछा ?


कहाँ  रहती  हो  आजकल.... ? 

ज़्यादा  मिलती  नहीं..?


*"यही  तो  हूँ"* 

जवाब  मिला।


बहुत  भाव 

खाती  हो  *ख़ुशी  ?..*

कुछ  सीखो 

अपनी  बहन *"परेशानी"*  से...

हर  दूसरे  दिन  आती  है 

हमसे  मिलने..।


आती  तो  मैं  भी  हूं... 

पर  आप  ध्यान  नही  देते।


*"अच्छा"...?*


शिकायत  होंठो  पे  थी  कि....

*ख़ुशी*  ने  टोक  दिया  बीच  में.

 

मैं  रहती  हूँ..…


कभी.. 

आपकी  बच्चे  की 

*तरक़्क़ियों  में,*


कभी.. 

रास्ते  मे  मिल  जाती  हूँ ..

*एक  दोस्त  के  रूप  में,*

कभी ... 

एक  अच्छी  फ़िल्म 

देखने  में, 


कभी... 

गुम  हो  कर  मिली  हुई 

किसी  चीज़  में,


कभी... 

*घरवालों  और  रिश्तेदारों* 

*की  परवाह  में,*


कभी ...

मानसून  की 

पहली  *बारिश  में,*


कभी... 

कोई  गाना  सुनने  में,


दरअसल...

थोड़ा  थोड़ा  बाँट  देती  हूँ, 

ख़ुद  को…

छोटे  छोटे  पलों  में....

उनके  अहसासों  में।

      

लगता  है  चश्मे  का  नंबर 

बढ़  गया  है  आपका...!

सिर्फ़  बड़ी  बड़ी  चीज़ों  में  ही 

ढूंढते  रहते  हो  मुझे.....!!! 


ख़ैर…

अब  तो  पता  मालूम 

हो  गया  ना  मेरा...?


*ढूंढ  लेना  मुझे  आसानी  से*

*अब  छोटी  छोटी  बातों  में..*

रचयिता : अनजान

संकलन 

अंतर्जाल ( इन्टरनेट) से

तू कितनी अच्छी है : ओ माँ


 

गरीबी एक चित्रण: प्रिया देवांगन "प्रियू"


 



                 
       विनी और बिट्टू दोनों भाई-बहन मैले-कुचैले कपड़े पहने थे। हाथों में छोटी-छोटी बोरियाँ थीं। वे कचरे बीनने जा रहे थे। कचरे के ढेर में झिल्ली, प्लास्टिक, लोहा आदि बीनते थे; और उन्हें बेचकर कर अपने खाने की व्यवस्था कर लेते थे। कभी कचरे के ढेर से रोटी के टुकड़े वगैरह या खाने को कुछ मिल जाता था, उसी से पेट भर लेते थे।
       बिट्टू बोला- "विनी उठो ! आज सबेरे जल्दी जाएँगे, तो हो सकता है कुछ खाने को मिल जाये। कल रात से हम भूखे हैं।"
       "हाँ भैया, मुझे तो रात को भूख के मारे बिल्कुल भी नींद नहीं आयी।" विनी बोली।
       रास्ते में एक आदमी अपने कुत्ते जैली को लेकर मॉर्निंग वॉक कर रहा था। वह कुत्ते को बिस्किट खिला रहा था। आगे-आगे कुत्ता और पीछे-पीछे आदमी।उसके पीछे थे दोनों भाई-बहन- बिट्टू और विनी। दोनों देख रहे थे; कुत्ता बिस्किट्स को नहीं खा रहा था। वह रास्ते में ही गिरा देता था। गिरे हुए बिस्किट को कभी विनी तुरन्त उठा लेती थी; तो कभी बिट्टू उठा लेता। बिस्किट पाकर दोनों खुश हो जाते थे। "आज भूख थोड़ी शांत हुई भैया।" विनी बोली।
         "हाँ विनी, हम रोज ऐसे ही सबेरे जल्दी आया करेंगे। ऐसे ही खाने को हमें रोज मिल सकता है।" तभी अचानक उस आदमी ने पीछे मुँड़ कर देखा कि जैली की गिरे हुए बिस्किट्स दोनों बच्चों के हाथों में है। उसने तुरंत दोनों को बिस्किट के टुकड़े नीचे फेंकने को कहा। बच्चे डर गए। फिर दोनों ने बड़े मायूस हो कर बिस्किट के टुकड़े नीचे फेंक दिए।
        "यह कुत्तों के खाने की बिस्किट्स है; इंसानो के लिए नहीं।" कहते हुए उस आदमी ने सारे बिस्किट्स जैली को जबरदस्ती खिला दिया।
        एक-दूसरे के चेहरे देख कर विनी और बिट्टू की आँखें भर आईं। दोनों भाई-बहन भारी मन से घर लौट रहे थे।
                  


प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़









गुल्ली बिल्ली और गिलहरी : अंजू जैन गुप्ता





एक दिन की बात है खूब जोरों से बिजली गरज रही थी और बारिश हो रही थी । गिर के जंगलों मे बहुत से जानवर जैसे गिलहरी,गिरगिट,गधा गाय और गैंडा हाथ मे गमला लिए इधर उधर भाग रहे थे ।तभी वहाँ से गुल्ली नाम की बिल्ली जा रही थी, उसने देखा कि सभी अपने हाथ में एक - एक गमला लेकर भाग रहे हैं गुल्ली उनको देखकर जोरों से हँसने लगी और हँसते- हँसते कहती हैं, कि अरे !भई तुम सभी गमला लेकर क्यों भाग रहे हो?तभी गिलहरी कहती है कि गुल्ली बिल्ली तुम भी एक गमला ले लो और भागो देखो बिजली कितनी जोरों से गरज रही है;

 कहीं तुम्हारे ऊपर न गिर जाए ! यह बात सुनकर गुल्ली और जोरों से हँसने लगती है और हँसते हुए कहती है ,"जब बिजली गरजता है तो हमें किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए जैसे कि किसी इमारत के अंदर या किसी ढके वाहन के अंदर ।  हमें पानी और बिजली की वस्तुओं से भी दूर रहना चाहिए ।

गमला तो मिट्टी का होता है यह तो टूट जाएगा । यह तुम्हारी रक्षा नहीं करेगा बल्कि इससे तुम्हें चोट लग सकती हैं ,तभी गिरगिट   

भी बोलने लगता है," हाँ -हाँ  गुल्ली तुम ठीक कह रही हो हमें शीघ्र ही किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए।"

 गिरगिट और 

गुल्ली की बात  सभी जानवरों को  समझ आ जाती है और सभी तुरंत गमला एक तरफ रख देते हैं । और पास ही एक सुरक्षित स्थान खोज लेते  हैं सभी वहाँ जाकर रुक जाते हैं। 

 जाते- जाते गुल्ली बिल्ली कहती हैं, तुम सबको याद हैं ना कि कल मेरा जन्मदिन है ।

तभी गाय कहती है ,"हाँ -हाँ गुल्ली हम सब आ जाएगे और मैं सबके लिए गाजर का हलवा ले आऊंगी।",गधा कहता है कि ,"मैं गिलास और गाजर का जूस ले आऊंगा । गुल्ली बिल्ली कहती है कि  तुम्हें कुछ लाने की जरूरत नहीं है मैंने पहले से ही ये सब बना लिया है बस तुम सब समय पर आ जाना। "गुल्ली कहती है , अब "मैं भी घर जाकर गुब्बारों से घर को सजा लेती हूं और गेंद भी ढूंढ लेती हूं कहाँ रखी है हम कल गेम्स भी खेलेंगे ।"

तभी मौसम भी सही हो जाता है और सभी अपने अपने घर चले जाते हैं।



अंजू जैन गुप्ता