गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

महेंद्र देवांगन माटी की रचना : चरणों में शीश झुकाता हूँ




चरणों में शीश झुकाता हूँ 



माता पिता के चरणों में, मैं अपना शीश झुकाता हूँ ।

तन मन सब अर्पण है मेरा , उस पर ही बलि जाता हूँ ।

सागर सी गहराई छुपा है, ममता मयी आंखों में ।

पुण्य प्रताप का तेज छुपा है, उसके दोनों हाथों में।

 कहां जाऊं मैं दर दर फिरे, ओ तो चारों धाम है ।

माता पिता के चरणों में, सौ सौ बार प्रणाम है ।



                        महेन्द्र देवांगन माटी 
                        पंडरिया 
                        छत्तीसगढ़ 

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