रामू बड़ी देर से 'सोहनलाल मिठाई वाला 'की दुकान की तरफ ललचाई नज़रों से देखता हुआ दुकान के चक्कर लगा रहा था |
मौका मिलते ही दुकान से दो कचौरियां लेकर भागा | सोहन लाल ने देखा और दौड़कर रामू को पकड़ लिया |
रामू मार के डर से थर थर कांपने लगा | सोहनलाल ने कहा मैं तुम्हें मारूंगा नहीं और दुकान के अन्दर ले गया |
सोहनलाल ने पूछा तुमने चोरी क्यों की? मुझसे मांगते मैं तुम्हें दे देता |रामू ने इतना दयालू इन्सान नहीं देखा था| रामू ने सोचा कि मेरे चोरी करने के बाद भी ये इन्सान इतने प्यार से बातें कर रहा है |
रामू ने सोहनलाल को सब कुछ सच सच बता दिया | रामू ने कहा साहब आप आज दे देते कल क्या करता? सोहनलाल को रामू थोड़ा होशियार लगा |
सोहनलाल ने रामू से पूछा क्या तुम काम करोगे ? रामू ने कहा , जरूर करूँगा | पर मुझे काम देगा कौन? जहां जाता हूं लोग भगा देते हैं |
सोहनलाल ने कहा, मैं तुम्हे काम दूँगा और पढ़ाऊँगा भी | पढ़ोगे न ? रामू का चेहरा खिल उठा क्योंकि उसे पढ़ने की बहुत इच्छा थी |
सोहनलाल ने पूछा एक बात बताओ रामू कि तुम चोरी क्यों करते
हो? रामू ने कहा, क्या करूँ साहब ? घर मे मां बीमार पड़ी है| काम पे जा नहीं पा रही है | थोड़े बहुत पैसे थे, सब खत्म हो चुके है | पेट की आग सही नही जाती | काम मिलता नहीं इसलिये मजबूरी मे चोरी करनी पड़ती है|
सोहनलाल ने उसी दिन से उसे काम पर लगा लिया और सबेरे के स्कूल मे नाम भी लिखा दिया |
रामू होशियार तो था ही| काम मन लगाकर करता था और पढ़ाई भी |
रामू का सब ग्राहकों से व्यवहार बहुत अच्छा था | सोहनलाल भी उससे बहुत खुश था |
दिन बीतते गये| रामू अब १२ वीं कक्षा का छात्र था| बोर्ड की परीक्षा को आरम्भ होने मे बस एक महीना शेष था | रामू,जी जान से परीक्षा की तैयारी मे जुट गया | समय पर परीक्षा हुई| रामू के पर्चे भी अच्छे हुए थे|
इन्तज़ार की घड़ियां समाप्त हुईं|
आखिर वह दिन भी आ गया जब परीक्षा परिणाम घोषित होने वाले थे|
उम्मीद के मुताबिक रामू बहुत अच्छे नंबरों से पास हुआ था | रामू की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं था|
वह दौड़ता हुआ सोहनलाल के पास गया और उससे लिपट गया| बोला ,साहब, ये सब आपका आशीर्वाद है
ैयदि आपने मदद नहीं की होती तो मै इस मुकाम तक नहीं पहुँच पाता |
उस दिन सोहनलाल ने जितनी मिठाई बनाई थी पूरे मुहल्ले में बांट दी|
,उधर रामू के स्कूल मे भी जश्न मनाया जा रहा था| रामू ने १२ वीं कक्षा मे top जो किया था |
पुरस्कार स्वरूप उसे छात्रवृत्ति दी गई, जिससे वह आगे की पढ़ाई जारी रख सके |
रामू की तो जिन्दगी ही बदल गई थी
अब उसका लक्ष्य था IAS Officer बनके देश की सेवा करना | मां को सब सुविधायें देना जिससे अभी तक वो वंचित थीं|
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बच्चों रामू अपनी लगन और समर्पण भाव से पढ़ाई करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सका |
मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार
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