रविवार, 16 सितंबर 2018

मंजू श्रीवास्तव की रचना गणेश उत्सव




गणेश चतुर्थी का त्योहार आनेवाला था |  चारों ओर जोर शोर से तैयारियाँ चल रही हैं | कॉलॉनी मे सभी लोग अपने अपने घरों की सफाई में जुटे पड़े हैं. |
       रघु के मन मे विचार आया कि इस बार गणेश पूजन मे क्यूँ न कुछ  नया किया जाय जो मिसाल बन जाय |
       रघु ने colony के सभी  बच्चों को पार्क मे बुलाया और अपने विचार  उनसे साझा किये | रघु ने कहा कि गणेश पूजन की स्थापना के लिये  सब लोग अपनी परंपरानुसार मिट्टी की मूर्ति  खरीदें  |
        इससे वातावरण को प्रदूषण से बचाने मे कुछ हद तक मदद मिल सकेगी | दूसरे, नदियाँ भी साफ रहेंगी |
         सभी को यह विचार पसन्द आया |
        तय हुआ कि  colony के हर घर मे दो दो जन जायेंगे और  uncle,aunty को अपने विचार बतायेंगे |
           सभी घरों मे लोगों ने इस योजना को स्वीकार कर लिया |
          गणेश चतुर्थी का दिन आ गया | सभी लोगों ने  अपने घरों मे मिट्टी से निर्मित गणेश जी की मूर्ति स्थापित की  | colony को रंगीन फूलों से सजाया गया | हल्की रोशनी के बल्व लगाये गये | स्थापना के दिन सब लोगों ने एक साथ मिलकर पूजा अर्चना की |
         वातावरण. भक्तिमय हो गया | था |
        बड़े बुज़ुर्गों ने बच्चों को  आशीर्वाद दिया इतना अच्छा  इन्तज़ाम करने के लिये |
      बुज़ुर्गों ने देखा और सोचा कि जब बच्चे पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने के प्रति और स्वच्छता के प्रति  इतने जागरुक हैं तो हमें तो और ज्यादा लोगों को जागरुक करने की जरूरत है |
      ये भी तय हो गया कि अब हर साल हर कार्यक्रम इसी  तरह करके  वातावरण स्वच्छ रखेंगे |


                मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार
       

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