बुधवार, 14 नवंबर 2018

बल दिवस पर सुशील शर्मा की कृति: मनहरण घनाक्षरी (8887 वर्णों पर यति,समान्त पदान्त)



फूलों जैसे हम प्यारे,
माँ के हैं राजदुलारे,
पापा की आंखों के तारे,
हाथ तो मिलाइए।

टन से बजी है घण्टी,
गुरुजी की उठी शंटी,
सबक तो याद नही,
अब शंटी खाइए।7

चुन्नू मुन्नी है चिल्लाते,
धीमे से हमें बुलाते,
पापा क्यों आंख दिखाते,
आप समझाइए।

हम नन्हे से हैं बच्चे,
मन के हैं सीधे सच्चे,
हमें देख कर आप,
जरा मुस्कुराइए।

                       सुशील शर्मा

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