सोमवार, 26 नवंबर 2018

मंजू श्रीवास्तव की कविता : दीपों का आया त्योहार



दीपों का आया त्योहार,
खुशियां लाया बेशुमार |
झिलमिल करते दीपक न्यारे,
मानों आसमां से उतरे तारे |
सबने अपने आंगन को,
रंग बिरंगे दीपों से सजाया |
महान टिमटिम करते दीपों का,
कारवाँ ज़मीं पर उतर आया |
मन के अंधेरे दूर हुए,
मन में प्रेम के दीप जले |
पर्यावरण को प्रदूषण से बचायें,
प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाएं |
गिले शिकवे सब भूलकर,
सबको गले लगायें  |
पटाखे रहित दीपों का त्योहार,
खुशियां मिलें बेशुमार |




                                मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार

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