रविवार, 6 जनवरी 2019

संस्कार : गुराशीश की बालकथा




संस्कार

आज दोपहर स्कूल से वापिस आते हुए, हम सभी बच्चे जब वैन में बैठे तब मेरी नज़र एक अंकल पर पड़ी। अंकल बहुत परेशान दिखाई दे रहे थे। वह बार- बार बच्चों के पास जाकर कुछ पूछ रहे थे। मैं एकटक उन्हीं को देख रहा था कि अचानक से वो हमारी वैन के पास आए और मेरी तरफ देखते हुए बोले - बेटा बड़ा स्केल है क्या तुम्हारे पास ?
मेरे पास स्केल नहीं था । मैंने अपने साथ बैठे बच्चों से पूछा पर स्केल किसी के पास नहीं था । अंकल ने बताया कि वहीं थोड़ी दूरी पर उनकी कार की चाबी एक छोटे से गड्ढे में गिर गई है , जिसे निकालने के लिए उन्हें स्केल चाहिए।  मैं अपनी वैन से उतरकर , उनके साथ दूसरी वैन तक गया जिसमें मेरे दोस्त पास बैठे थे , उनके पास स्केल भी था, उनसे स्केल लेकर, मैंने स्केल से चाबी निकाली और अंकल कों दी । अकल ने प्यार से मेरें सिर पर हाथ रखते हुए आशीर्वाद दिया और कहा- बेटा तुम्हारे संस्कार बहुत अच्छे हैं । मैं बहुत देर से परेशान था, कहीं से सहायता नहीं मिल रही थी , बच्चे भी कन्नी काट कर आगे बढ़ रहे थे पर तुमने मेरी सहायता की, मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा बेटा। अंकल की मदद करने के बाद उन्हें तो राहत मिली ही, मुझे भी अजीब सी संतुष्टि मिली और उस दिन मैंने जाना कि दूसरों की मदद करने से भी खुशी मिलती है।

- गुराशीश
कक्षा दस
एमिटी इंटर नेशनल स्कूल
सैक्टर - 46


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