शनिवार, 16 फ़रवरी 2019

शादाब आलम की रचना : ठंड हमे धमकाए







बाहर फैली धुंध, हवाएं
चलें सरर-सर सर
सुन्न पड़े हैं हाथ-पैर, हम-
कांपे थर-थर-थर।
पानी छूने से डर लगता
ठंड हमे धमकाए
फिर भी रिंकू रोज़ नहाकर
ही विद्यालय जाए।



                          शादाब आलम 


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