बुधवार, 6 मार्च 2019

nana ki  pitari नाना की पिटारी  ब्लॉगर  डाॅट काम पर


प्रभुदयाल श्रीवास्तव का बालगीत

           

       रेल यात्रा 


    यदि रेल से बच्चों तुमको ,
    किसी जगह पर जाना हो|
    आधा घंटे पहले घर से ,
     होकर तैयार रवाना हो |


     स्टेशन पर जाकर तुमको ,
     रेल टिकेट लेना होगी,
     मांगो  खिड़की पर बाबू से,
      तुम्हें जिस जगह जाना हो|

    पैसों और टिकिट को रखना,
     किन्हीं सुरक्षित जेबों में,
     ध्यान सदा जेबों पर रखना,
    जेबें अगर बचाना हो |


    भीड़ बहुत होती रेलों में,
    कम से कम  सामान  रखो,
   ताकि जल्दी से डिब्बे में,
    किसी तरह चढ़ जाना हो |
  हो सकता है तुरत फुरत ही,
   तुमको जगह न मिल पाए |
   हो सकता है जाना तुमको,
   खड़े खड़े  पड़ जाना  हो |


   अगर कहीं गुंजाइश दिखती,
   की तुम जाकर बैठ सको,
   हो सकता कोई मिल जाए,
    जो जाना पहचाना हो |


    प्राय:नम्र निवेदन से तो,
   लोग जगह दे देते हैं,
   किन्तु  याद  रखना होगा ,
   व्यवहार सदा दोस्ताना हो |


   यदि राह में कोई मुसाफिर ,
   कुछ खाने को देता है,
   मत खाना यदि देने वाला ,
  बिलकुल ही अनजाना हो |
   चलती गाडी में से बच्चो,
    मत कभी उतारना जल्दी में |
    भले सामने तुमको दिखता, 
   अपना ठौर ठिकाना   हो |


     स्टेशन की चाट पकौड़ी,
     कभी भूल से खाना मत,
     लेना भोजन बिलकुल सादा ,
     यदि भूख लगे कुछ खाना हो |













प्रभु दयाल श्रीवास्तव



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