नाना की पिटारी इन्टरनेट पर छोटे बच्चों के लिए हिन्दी की एकमात्र मासिक निशुल्क पत्रिका संपादक शरद कुमार श्रीवास्तव, नई दिल्ली ईमेल nanakipitnari@gmail.com। वर्ष छह के द्वितीय माह का अंक दिनांक 06/03/2019
प्रभुदयाल श्रीवास्तव का बालगीत
रेल यात्रा
यदि रेल से बच्चों तुमको ,
किसी जगह पर जाना हो|
आधा घंटे पहले घर से ,
होकर तैयार रवाना हो |
स्टेशन पर जाकर तुमको ,
रेल टिकेट लेना होगी,
मांगो खिड़की पर बाबू से,
तुम्हें जिस जगह जाना हो|
पैसों और टिकिट को रखना,
किन्हीं सुरक्षित जेबों में,
ध्यान सदा जेबों पर रखना,
जेबें अगर बचाना हो |
भीड़ बहुत होती रेलों में,
कम से कम सामान रखो,
ताकि जल्दी से डिब्बे में,
किसी तरह चढ़ जाना हो |
हो सकता है तुरत फुरत ही,
तुमको जगह न मिल पाए |
हो सकता है जाना तुमको,
खड़े खड़े पड़ जाना हो |
अगर कहीं गुंजाइश दिखती,
की तुम जाकर बैठ सको,
हो सकता कोई मिल जाए,
जो जाना पहचाना हो |
प्राय:नम्र निवेदन से तो,
लोग जगह दे देते हैं,
किन्तु याद रखना होगा ,
व्यवहार सदा दोस्ताना हो |
यदि राह में कोई मुसाफिर ,
कुछ खाने को देता है,
मत खाना यदि देने वाला ,
बिलकुल ही अनजाना हो |
मत कभी उतारना जल्दी में |
भले सामने तुमको दिखता,
अपना ठौर ठिकाना हो |
स्टेशन की चाट पकौड़ी,
कभी भूल से खाना मत,
लेना भोजन बिलकुल सादा ,
यदि भूख लगे कुछ खाना हो |
प्रभु दयाल श्रीवास्तव
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