मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

बचपन : कृष्ण कुमार वर्मा



वो नटखटपन , वो अबोध शैतानियां
वो दादी अम्मा की रहस्यमयी कहानियां ...

गुल्ली डंडा , भौरा , पिट्टूल हमारे साथी 
खेले जो हम सांप-सीढ़ी , लूडो और बाटी ...

वो गुलेल से चिड़ीमार , वो पतंग से कलाबाज़ 
वो चोर-सिपाही की भागमभाग , वो टीने के ड्रम की अल्हड़ आवाज ...

वो बगीचे से आम चुराना , मालिक देख दौड़ लगाना 
वो दोस्तो से मिलकर , जामुन , बेर तोड़ लाना ...

ना मोबाइल , ना वीडियो गेम का था वो जमाना 
सच्ची खुशी तो बस , दोस्तो के बीच था पाना ...

खूब घूमना , जी भर खेलना , जैसे था अनोखा लड़कपन
पर सच मे जैसा भी था , बेहतरीन पल था , वो बचपन ....










- कृष्ण कुमार वर्मा 
  चंदखुरी फार्म , रायपुर [ छत्तीसगढ़ ] 
  15 / 04 / 2019


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