वो नटखटपन , वो अबोध शैतानियां
- कृष्ण कुमार वर्मा
वो दादी अम्मा की रहस्यमयी कहानियां ...
गुल्ली डंडा , भौरा , पिट्टूल हमारे साथी
खेले जो हम सांप-सीढ़ी , लूडो और बाटी ...
वो गुलेल से चिड़ीमार , वो पतंग से कलाबाज़
वो चोर-सिपाही की भागमभाग , वो टीने के ड्रम की अल्हड़ आवाज ...
वो बगीचे से आम चुराना , मालिक देख दौड़ लगाना
वो दोस्तो से मिलकर , जामुन , बेर तोड़ लाना ...
ना मोबाइल , ना वीडियो गेम का था वो जमाना
सच्ची खुशी तो बस , दोस्तो के बीच था पाना ...
खूब घूमना , जी भर खेलना , जैसे था अनोखा लड़कपन
पर सच मे जैसा भी था , बेहतरीन पल था , वो बचपन ....
- कृष्ण कुमार वर्मा
चंदखुरी फार्म , रायपुर [ छत्तीसगढ़ ]
15 / 04 / 2019
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