पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव आजकल युवा पीढ़ी पर इतना अधिक है कि वह वैलेंटाइन डे के साथ कोई न कोई डे हर सप्ताह खोज खोज कर मनाते है। यह अपनी जगह एक अच्छी बात है । लेकिन भारत के तीज त्योहार और उनकी महत्ता को हम भुलाते जा रहे हैं । इसी संदर्भ में हम भारत से लुप्त हो रहे त्योहारों के बारे में जानकारी देने के लिये गंगा दशहरा के बारे में यहां जानकारी दे रहे हैं । जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि इस वर्ष 05/06/2025 अर्थात 5 जून को है। इसे हम गंगा-दशहरा पर्व के रूप मे मना रहे हैं । कहते है पावन गंगा का अवतरण इसी दिन धरती पर हुआ था । आज के दिन भारतवासी गंगा में डुबकी लगाकर स्नान करते हैं। उसके उपरांत वे भगवान् का ध्यान और दान करते हैं । इससे उन्हें उनके पापों से मुक्ति मिल जाती है । अगर गंगा जी पास मे नहीं है तब किसी भी नदी में स्नान करने और भगवान् का ध्यान करते हुए दान करने से पाप दूर हो जाते है ।
स्कन्द पुराण में गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरित होने की कथा है, वह इस प्रकार है ।
एक बार अयोध्या के नरेश राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ करने के लिये एक घोड़ा छोड़ा । स्वर्ग के राजा इन्द्र को ईर्षा-वश राजा सगर का यह यज्ञ अच्छा नहीं लगा । उन्होंने अश्वमेध के लिए छोड़े हुए घोड़े को पकड़ कर पाताल लोक ले गये और कपिल मुनि के पास बांध दिया । इधर राजा सगर के अश्वमेध के घोड़े के गायब होने की खबर से चारों ओर खलबली मच गई । राजा सगर के सैनिक चारों तरफ दौड़े । राजा के साठ हजार सैनिक पाताल लोक में भी गये । वहाँ उन्हें अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा कपिल मुनि के समीप बंधा हुआ मिला । वे लोग यह देखकर चोर चोर कर चिल्लाने लगे । कपिल मुनि ने जब यह देखा तब उनके क्रोध से सारे साठ हजार सैनिक जलकर समाप्त हो गये । इन साठ हजार लोगों के उद्धार के लिए राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने घनघोर तपस्या की । उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने गंगा जी को धरती पर भेजने का निर्णय लिया । इसके पहले ब्रह्मा जी सुनिश्चित होना चाहते थे कि गंगा जी के वेग को धरती संभाल सकेंगी। ब्रह्मा जी ने भागीरथ जी से कहा कि वह भगवान् शिव को प्रसन्न करें ताकि वे गंगा जी को धरती पर अवतरित होने से पहले अपनी जटाओं में संभाल लें। धरती की भी स्वीकृति आवश्यक है । भागीरथ ने खूब तपस्या की और भगवान् शिव को खुश किया । भागीरथ ने अपने अथक प्रयास से गंगा जी को धरती पर लाकर अपने पुरखों का उद्धार किया । इसीलिए गंगा जी को भागीरथी भी कहा जाता है और पूरी चेष्टा से किये गये प्रयास को भागीरथी प्रयास भी कहा जाता है ।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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