किशन कन्हैया
(गीत -- सार छंद)
किशन कन्हैया रास रचैया , सबको नाच नचाये ।
बंशी की धुन सुनकर राधा , दौड़ी दौड़ी आये ।।
बैठ डाल पर मोहन भैया, मुरली मधुर सुनाये ।
इधर उधर सब ढूँढे उसको , डाली पर छुप जाये ।।
मधुर मधुर मुरली की तानें , सबके मन को भाये ।
बंशी की धुन सुनकर राधा, दौड़ी दौड़ी आये ।।
छोटा सा है किशन कन्हैया , नखरे बहुत लगाये ।
उछल कूद करता हैं दिनभर , सबको बहुत सताये ।।
हरकत देख यशोदा मैया , बहुते डाँट लगाये ।
बंशी की धुन सुनकर राधा , दौड़ी दौड़ी आये ।।
चुपके चुपके घर पर आते , माखन मिश्री खाये ।
गोप ग्वाल सब पीछे रहते , लीला बहुत रचाये ।।
लीला धारी कृष्ण मुरारी , कोई समझ न पाये ।
बंशी की धुन सुनकर राधा , दौड़ी दौड़ी आये ।।
महेन्द्र देवांगन "माटी" (शिक्षक)
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें