सोमवार, 26 अगस्त 2019

महेन्द्र देवांगन "माटी" की रचना : किशन कन्हैया





किशन कन्हैया
(गीत  -- सार छंद)

किशन कन्हैया रास रचैया , सबको नाच नचाये ।
बंशी की धुन सुनकर राधा , दौड़ी दौड़ी आये ।।

बैठ डाल पर मोहन भैया,  मुरली मधुर सुनाये ।
इधर उधर सब ढूँढे उसको , डाली पर छुप जाये ।।

मधुर मधुर मुरली की तानें , सबके मन को भाये ।
बंशी की धुन सुनकर राधा,  दौड़ी दौड़ी आये ।।

छोटा सा है किशन कन्हैया  , नखरे बहुत लगाये ।
उछल कूद करता हैं दिनभर , सबको बहुत सताये ।।

हरकत देख यशोदा मैया , बहुते डाँट लगाये ।
बंशी की धुन सुनकर राधा  , दौड़ी दौड़ी आये ।।

चुपके चुपके घर पर आते , माखन मिश्री खाये ।
गोप ग्वाल सब पीछे रहते , लीला बहुत रचाये ।।

लीला धारी कृष्ण मुरारी , कोई समझ न पाये ।
बंशी की धुन सुनकर राधा  , दौड़ी दौड़ी आये ।।


महेन्द्र देवांगन "माटी" (शिक्षक)
पंडरिया  (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com

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