गुरुवार, 26 सितंबर 2019

भगवान बुद्ध : शरद कुमार श्रीवास्तव




  



  भारत के उत्तर में , नेपाल की तराई मे स्थित, कपिलवस्तु राज्य के राजा शुद्धोदन और रानी महामाया के पुत्र का नाम सिद्धार्थ था। बालक सिद्धार्थ जब मात्र सात दिन के ही थे तो उनकी माता का निधन हो गया था।  उनका लालन पालन मौसी गौतमी ने किया तथा शिक्षा विद्वानो के द्वारा दी गई।  बचपन से ही सिद्धार्थ, बहुत तेज बुद्धि के और अति कोमल हृदय वाले बालक थे।   वे जो भी पढ़ते वह उन्हें तुरन्त याद हो जाता था. संवेदन शील इतने थे कि एकबार वे हिरण का शिकार करते समय उनकी नजर उस हिरन की माँ की भीगी आँखों मे तैरते दया याचना के निवेदन पर पड़ी कि बस सिद्धार्थ बिना शिकार किये लौट आये. मूक पशुओं के प्रति हिंसा को वह खराब मानते थे । उनका कहना था कि जब हम किसी को जीवन दे नहीं सकते तो उसे लेने का हमे कोई अधिकार नहीं है.
इनके पिता और शुभ चाहने वालो सिद्धार्थ के कोमल विचारों के कारण  डर था कि सिद्धार्थ कही सन्यासी न हो जायँ इसलिये इनका विवाह कम उम्र मे यशोधरा नामक सुन्दर बालिका से कर दिया जिससे उनको एक पुत्रकी प्राप्ति हुई थी।क्ष सिद्धार्थ का मन कभी संसारिक सुखों मे बंध नही सका. एक बार वह नागरिक भ्रमण पर अपने सारथी के साथ जा रहे थे रास्ते मे उन्हे बहुत बीमार आदमी दिखाई दिया जो बहुत कष्ट मे था सारथी ने बताया कि बीमार होने पर सबको कष्ट उठाना पड़ता है. सिद्धार्थ बहुत दुखी हुए. फिर एकबार एक बूढा दिखाई दिया जो लाठी ले कर बडे कष्ट से चल रहा था उसकी आँखे धंसी थीं और पूरे शरीर मे झुर्रिया थीं उन्हे सारथी ने पूछने पर बताया कि यह बूढ़ा है बूढ़ा होने पर सबकी यही दशा होती है. सिद्धार्थ को बहुत दुख हुआ . इसी प्रकार एक मृत व्यक्ति को देखा सारथी ने बताया कि सबको एक दिन मरना पडता है .
इन घटनाओं ने सिद्धार्थ को गहरे चिन्तन मे डाल दिया. वे मनुष्य के इन कष्टो के निवारण हेतु चिन्तन करते रहतेथे. एक दिन जब सब लोग सो रहे थे वे उठे अपनी पत्नी और पुत्र को देखा फिर अपने मन मे आये दौर्बल्य को दृढ़ता से दूर किया. सारी राजसी वेषभूषा राजसी सुख त्याग कर साधारण वेषभूषा मे ज्ञान प्राप्ति के लिये गाँव गाँव जँगल जँगल मे वे निकल पड़े कुछ दिनो के बाद वे बोध गया पहुचे जहाँ उन्हे वट वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई और तबसे उनका नाम भगवान बुद्ध पड़ा.
बुद्ध भगवान के बौद्ध धर्म के अनुयायी सारे विश्व मे है और उनकी संख्या विश्व के सब धर्मो के अनुयायियो से सबसे अधिक है।




          शरद कुमार श्रीवास्तव 



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