सोमवार, 16 मार्च 2020

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की एक बाल कविता







प्रभुदयाल श्रीवास्तव
12 शिवम सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र

काँटे उसके दोस्त हो गए

तितली फूलों की शाला में,
आई दाखला लेने।
झिझकी थोड़ी देख फूल सँग,
काँटे लंबे पैने।
       फूल ख़ुशी से रहते हैं तो,
       मैं क्यों न रह पाऊँ।
       मैं तो रानी तितली  हूँ क्यों,
       काँटों से डर जाऊँ?
अब तो तितली काँटों में भी,
बहुत देर रह आती।
काँटे उसके दोस्त हो गए,
तो फिर क्यों घबराती।

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