तितली फूलों की शाला में,
आई दाखला लेने।
झिझकी थोड़ी देख फूल सँग,
काँटे लंबे पैने।
फूल ख़ुशी से रहते हैं तो,
मैं क्यों न रह पाऊँ।
मैं तो रानी तितली हूँ क्यों,
काँटों से डर जाऊँ?
अब तो तितली काँटों में भी,
बहुत देर रह आती।
काँटे उसके दोस्त हो गए,
तो फिर क्यों घबराती।
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