रंग बिरंगे सभी ओर जी, हरियाली है छाई।
फागुन की होली है देखो , गुड़िया रंग है लाई।।
घूम घूम के खेले होली , सबको रंग लगाई।
पापा के संग गुड़िया रानी , पिचकारी खूब चलाई।।
चुन्नू मुन्नू दोनों आये , रंग साथ मे लाये।
गुड़िया रानी को देखकर , दंग सभी रह जाये।।
दादा जी मुखौटा पहने , गुड़िया को डराये।
दौड़ दौड़ के खेले होली , बच्चे शोर मचाये।।
घर घर मीठे पकवान बनाये , मिल बाँट कर खाये।
बच्चे बूढ़े सभी मजे से , होली खूब मनाये।।
प्रिया देवांगन प्रियू
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया रचना बधाई हो
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