लिए बाल्टी रस्सी ,बिल्ली,
पहुँची भरने पानी।
देखा झाँक कुएँ में तो था,
बचा जरा सा पानी।
नहीं बाल्टी डूबी जल में,
एक बूँद न आई।
बिल्ली ने कूएँ के भीतर,
एक छलाँग लगाई।
खूब पिया बैठे- बैठे ही,
ठंडा -ठंठा पानी।
अब बाहर वह कैसे निकले,
याद आ रही नानी।
प्रभूदयाल श्रीवास्तव
१२ शिवम सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र
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