जब तुम्हारे घर में आए मेहमान ,
तुम करो उसका आदर सम्मान,
मेहमान होता है प्रभू के समान,
पूर्ण करो उसके सारे अरमान।
चाहे हो वह गोरा या काला,
मेहमान होता है सबसे आला,
चाहे हो गरीब या पैसे वाला,
डालो उसके गले में माला।
चाहे हो वह अमीर या दीन,
चाहे हो वह स्वच्छ या मलीन,
चाहे उसका देश हो हिन्द या चीन,
सेवा करो उसकी बहतरीन।
चरण छू के करो अभिनंदन,
गीत संगीत से करो मनोरंजन,
कनक की थाली में परोसो भोजन,
कभी ना करे तुम्हारे कारण क्रंदन।
दिन रात के खाने की तरह परोसो उसे कलेवा,
शबरी के तरह चख चख कर खिलाओ उसे मेवा,
अतिथी हमारा होता है सबसे बड़ा देवा,
इसलिए करो उसकी दिन रात भर सेवा।
अद्वित कुमार
कक्षा आठ
सुपुत्र श्रीमती सुरभि और श्री आशीष कुमार
डी ए वी पब्लिक स्कूल
पुष्पांजलि एन्क्लेव
नई दिल्ली
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