दीन हीन हम बालक माता, पास तुम्हारे आये।
दया करो हे अम्बे माता, और कहाँ हम जायें।।
विपदा में हम पड़े हुए हैं, अब तो हमें बचाओ।
अंधकार सब दूर करो माँ, राह नया दिखलाओ।।
दीप जलाऊँ दिल से माता, उर आनंद छा जाये।
दया करो हे अम्बे माता, और कहाँ हम जायें।।
भटक गया है मानव अब तो, पापी बढ़ते जाये।
करे दिखावा सबसे ज्यादा, चंदन तिलक लगाये।।
कर उद्धार सभी को माता, तेरे ही गुण गायें।
दया करो हे अम्बे माता, और कहाँ हम जायें।।
महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक)
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
वाटसप - 8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com
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