रविवार, 26 अप्रैल 2020

परिंदे सोच में है : कृष्ण कुमार वर्मा























ये इंसान घरों के अंदर कैद क्यों है ?
ये गलियां , चौराहा वीरान क्यों है ...
परिंदे सोच में है ।
जीवन का सफर , यूँ थम कैसे गया है ?
पैसे की भूख में डूबा , ये शहर कैसे रुक गया है ...
परिंदे सोच में है।
दौड़ती जिंदगी का शोर , कही खो गया है ?
आसमान में फैली जहर , धूमिल हो गया है ...
परिंदे सोच में है ।।




                                  कृष्ण कुमार वर्मा
                                  रायपुर , छत्तीसगढ़
                                  9009091950

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