ये इंसान घरों के अंदर कैद क्यों है ?
ये गलियां , चौराहा वीरान क्यों है ...
परिंदे सोच में है ।
ये गलियां , चौराहा वीरान क्यों है ...
परिंदे सोच में है ।
जीवन का सफर , यूँ थम कैसे गया है ?
पैसे की भूख में डूबा , ये शहर कैसे रुक गया है ...
परिंदे सोच में है।
पैसे की भूख में डूबा , ये शहर कैसे रुक गया है ...
परिंदे सोच में है।
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