शुक्रवार, 26 जून 2020

मजदूर






मजदूर है हम देश के , मेहनत करना जानते हैं।
पसीना अपना बहाते हैं , कभी हार नही मानते हैं।।
एक एक ईंट जोड़कर , महलों को बनातें हैं।
दिनभर की मजदूरी करके , रोजी रोटी कमाते हैं।।
एक एक पैसा जोड़ जोड़ कर , बच्चों को पढ़ाते हैं।
नही थकते है कभी भी हम , मेहनत खूब करते हैं ।।
कुटिया में रह कर भी , अपना सपना पूरा करते हैं।
खुद भूखे रहकर भी , बच्चों को खाना खिलाते हैं।।
कभी पत्थर काटते तो कभी ईट को उठाते हैं।
अपनी मेहनत से हम , दूसरों के घर को सजाते हैं।।
मजदूर है हम देश के , मेहनत करना जानते हैं।
पसीना अपना बहाते हैं , कभी हार नही मानते हैं।।



प्रिया देवांगन *प्रियू*
पंडरिया
छत्तीसगढ़

priyadewangan1997@gmail.com

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