शनिवार, 15 अगस्त 2020

सृष्टि नियंता राम





आज जुडा़ इतिहास में,नूतन स्वर्णिम सर्ग।
तीर्थ अयोध्या घाम में,जैसे उतरा स्वर्ग।

शिलान्यास की शुभ घड़ी,भक्तों में उल्लास।
अद्भुद,अनुपम,भव्यतम,होगा राम निवास।

भजन,कीर्तन,शंख ध्वनि,घर-घर मंगल दीप।
नयन बसी छवि राम-सिय,हिय में प्रेम प्रदीप।

राम-जानकी लक्ष्मण,पवन तनय हनुमान।
अवध नगर पुनि आइये,कृपा सिंधु भगवान।

चरण-कमल हैं धो रहे,सेवक हनुमत वीर।
राम-जानकी के चरण,पावन सरयू नीर।

द्वार-द्वार मंगल कलश,दीप आरती थाल।
तोरण,वंदन वार नव,स्वागत द्वार विशाल।

शांति,सुमंगल,मोक्ष प्रद,अवध पुरी शुभ धाम।
जहाँ विराजीं जानकी,सृष्टि नियंता राम।



 👉श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
      रावगंज,कालपी,जालौन(उ०प्र०)  


कोई टिप्पणी नहीं: