बिल्ली बोली चूहे राजा,
क्यों मौसी से डरते हो,
निर्भय होकर घर-भर में,
क्यों नहीं कुलांचें भरते हो।
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छोड़ा मांसाहार कभी का,
छोड़ दिया अंडा खाना,
अब तो मुझे बहुत भाता है,
दाल - भात ठंडा खाना,
मेरी सच्ची बातों पर क्यों,
नहीं भरोसा करते हो।
बिल्ली बोली ----------------
मेरा मन करता है मैं भी,
साथ तुम्हारे नृत्य करूं,
साज उठाकरखुदको भी मैं,
सरगम में अभ्यस्त करूं,
फिरभी प्यारी मौसी से क्यों,
डर के मारे मरते हो।
बिल्ली बोली--------------
देखो मेरी कंठी - माला,
देखो राम दुपट्टा भी,
याद नहीं मैंने मारा हो,
तुम पर कभी झपट्टा भी,
मेरे सम्मुख खीर मलाई,
लाकर क्यों ना धरते हो।
बिल्ली बोली-------------
अब तो आँख मीच ली मैंने,
फिर काहे की शंका है,
धमा चौकड़ी खूब मचाओ,
बजा प्यार का डंका है,
मेरी गोदी में आने से,
तुम किसलिए मुकरते हो।
बिल्ली बोली---------------
सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली,
कितनी भोली बनती है,
एक आँख कर बंद, गौर से,
सबकी बोली सुनती है,
सुनो, शर्तिया मर जाओगे,
यदि तुम आज बिखरते हो।
बिल्ली बोली---------------
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वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
मो0- 9719275453
दि0- 06/10/2020
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