मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

चीटियां और साँप (पंचतंत्र की कहानियों पर आधारित)

 



 
एक घने जंगल में एक विशाल सांप रहता था। वह मेढक, छिपकली, छोटे खरगोश, चूहा आदि छोटे जीवों और उनके अंडों को खाया करता था ।  इस तरह  वह छोटे जानवरों अपना दबदबा भी बनाए रखता था । जब चाहा, जिसे डरा दिया , जब चाहा जिसे भगा दिया, करता था।
एक बार, जंगल में घूमते-घूमते, एक बड़े पेड़ के नीचे, चीटियों की एक बड़ी बाम्बी, दिखाई पड़ी । इस बाम्बी में ढ़ेर सारी चीटियां रहती थी । साँप ने सोचा कि यह जगह तो बहुत बढ़िया है । अगर मै इस जगह को हथिया लूँ तो बहुत मजा आ जाए । शिकार के लिये, इधर उधर भटकने की जरूरत नहीं है । पेड़ के नीचे चूहों आदि के बिल और पेड़ के ऊपर पक्षियों के घोंसले मिल जाएंगे । तब जब चाहो, जैसी चाहो, दावत उडाओ ।
 
अब उसने मन बनाया और प्रायः हर हफ्ते, चीटियों की बाम्बी के पास जाकर एक चेतावनी दे आता था कि बाम्बी खाली करो, मैं रहने आने वाला हूँ । उसकी धमकी सुनकर भी चीटियां कुछ नही कहती थी और अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करती थी । बस, अपना काम करती रहती थीं । यह सब एक छोटी गिलहरी देखा करती थी । उस गिलहरी ने चीटियों से कहा कि साँप आप लोगों को हर हफ्ते डरा जाता है और आप लोग उसे कभी कुछ क्यों नहीं कहतीं है । चीटियों ने कहा कि बस तुम देखती रहो । एक दिन साँप चीटियों की बाम्बी मे प्रवेश कर गया वह बहुत गुस्से में था । उसने कहा यह घर खाली करो । बस फिर क्या था बहुत सारी चीटियों ने साँप के ऊपर हमला कर दिया । वे सब उसके शरीर से चिपक गई और उस को काटने लग गई । उन्होंने साँप को बुरी तरह जख्मी कर दिया और साँप जख्मों में तड़प कर मर गया।
आपने देखा बच्चों , साँप को झूठा अहंकार नही करना चाहिए था । उसे दुश्मन के बल को पहचानना चाहिए था । वहीं चीटियां बहुत छोटी होती हुई भी अपने धैर्य और अपनी एकता के कारण इतने बड़े साँप को मार गिराई । एकता में बल है ।






शरद कुमार श्रीवास्तव 

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