माली उपवन देखता, रोज लगाते फूल।
खाद दवाई डालते, नही बैठता धूल।।
नही बैठता धूल, सदा वे पानी डालें।
सुंदर सुंदर फूल, बाग में अपने पाले।।
महक उठा संसार, सजे फूलों से थाली।
रखते सुंदर साफ, रोज उपवन को माली।।
अर्पित करते फूल जी, सभी सजाते द्वार।
उपवन चुनते पुष्प है, और बनाते हार।।
और बनाते हार, राम जी खुश हो जाते।
मंदिर जाते लोग, चरण में माथ झुकाते।।
खुश हो जाते देख, करे वह पुष्प समर्पित।
लेते आशीर्वाद, राम को करते अर्पित।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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