गुरुवार, 25 मार्च 2021
"ब्रज की होली" प्रिया देवांगन प्रियु
स्व महेन्द्र सिंह देवांगन की रचना "वाट्सप"
रहते हैं सब दूर दूर पर।
मन में कमल खिलते हैं।।
वाट्सप का कमाल तो देखो।
एक जगह सब मिलते हैं।।
सुबह सुबह जब आंँखें खुलती।
झट से मोबाइल देखते हैं।
सुप्रभात और गुड़ मॉर्निंग का।
मैसेज सबको भेजते हैं।।
चाय की प्याला लिये हाथ में।
की बोर्ड पर ऊँगली रहता है।
चाय की चुस्की मार मार कर।
हाय हैलो सब करता है।।
कोई बन्दा सीधा साधा।
कोई बहुत है खाटी।
सबको प्रणाम करने आया।
छत्तीसगढ़ का "माटी"।।
रचनाकार
महेंद्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
होली
सेही और शावक वीरेन्द्र सिंह बृजवासी की बाल रचना
पड़ा स्वयं सेही के पीछे,
था शावक नादन,
इसे मारकर ही मानूंगा,
बनता चतुर सुजान ।
बढ़कर राह रोकता उसकी,
शावक का अभिमान,
लेकिन सेही नहीं दे रही,
उसपर कोई ध्यान।
तभीअचानक शावक झपटा,
सेही पर शैतान,
कर डाला सेही ने उसको,
पूरा लहू - लुहान।
आंख,नाक,मुख,कान सभीमें,
कांटे चुभे समान,
लगा चीखने शावक उसकी,
संकट में थी जान।
भूल गया सारी चतुराई,
निकली झूठी शान,
जान बचाकर भागा शावक,
बिगड़ा सब अनुमान।
कभी किसीको कम ना समझो,
रहे सदा यह ज्ञान,
खिली रहे सबके होंठों पर,
प्यारी सी मुस्कान।
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
मंगलवार, 16 मार्च 2021
महाशिवरात्रि रचना प्रिया देवांगन प्रियू की
"
सोमवार, 15 मार्च 2021
औघड़ दानी" महेन्द्र सिंह देवांगन की रचना
भोले बाबा औघड़ दानी।
जटा विराजे गंगा रानी।।
नाग गले में डाले घूमे।
मस्ती से वह दिनभर झूमे।।
कानों में हैं बिच्छी बाला।
हाथ गले में पहने माला।।
भूत प्रेत सँग नाचे गाये।
नेत्र बंद कर धुनी रमाये।।
द्वार तुम्हारे जो भी आते।
खाली हाथ न वापस जाते।।
माँगो जो भी वर वह देते।
नहीं किसी से कुछ भी लेते।।
महेंद्र देवांगन "माटी" (बृह्मलीन)
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
Mahendradewanganmati@gmail.com
हाथी राजा वीरेन्द्र सिंह बृजवासी की बाल रचना
सारा जंगल दहल उठा है,
हाथी की चिंघाड़ से,
अब डरने की बात नहीं है,
शेरों की हुंकार से।
किसकी हिम्मत जो टकराए,
आज तेज तर्रार से,
एक सूंड़ में जा उलझेगा,
कांटों वाली तार से।
कबतक डरते रहें बताओ,
उस शेरू सरदार से,
ताकत की बू में ना करता,
बात कभी जो प्यार से।
ऐसा चांटा आज पड़ेगा,
मुंह पर उस मक्कार के,
दिन में तारे दिख जाएंगे,
हाथी के प्रहार से।
चलो साथियों आज शेर को,
लाते बांध निबाड़ से,
लाकर दूर उसे बांधेंगे,
हाथी के दरबार से।
हाथी राजा का जयकारा,
बोलो मिलकर प्यार से,
रहे सुरक्षित अपना राजा,
जंगल के गद्दार से।
आता नाहर पड़ा दिखाई,
मस्त - मस्त रफ्तार से,
भूल गए सारा जयकारा,
डरने लगे दहाड़ से।
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
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शनिवार, 6 मार्च 2021
बिल्ली रानी! वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी की बाल रचना
आकर बैठ गई खिड़की पर,
झबरी बिल्ली रानी,
सूंघ रही थी कहाँ रखी है,
चिकिन, मटन, बिरियानी।
सारे घर में दौड़ दौड़कर,
हारी बिल्ली रानी,
हाथ न आया कुछ भी उसके,
मुख में आया पानी।
लेकिन झबरी बिल्ली ने भी,
दिल से हार न मानी,
फ्रिज से आती हुई महक को,
वह झट से पहचानी।
लगी खोलने डोर फ्रिज का,
पंजों से अभिमानी,
फूलदान गिर गया ज़मी पर,
जागी बिटिया रानी।
पूंछ दबाकर भागी बिल्ली,
भूल गई बिरियानी,
कूद गई खिड़की से नीचे,
पकड़ न पाई नानी।
वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
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शुक्रवार, 5 मार्च 2021
शामू-2 गतांक से आगे रचना शर