गुरुवार, 25 मार्च 2021

होली

 



 होली का त्योहार भारत और नेपाल सहित सभी हिन्दू धर्म के अनुयायियों द्वारा बहुत जोर शोर से मनाया जाता है । जानते हो बच्चों होली का यह त्योहार कब मनाया जाता है।   यह त्योहार हिन्दू कैलेन्डर के फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर  मनाया जाता है।  इस दिन पुराने वर्ष का अंत हुआ  होता है और अगले दिन नववर्ष  के पहले मास अर्थात चैत्र का प्रारंभ  होता है ।  फाल्गुन मास के अंतिम  दिन  अर्थात  पूर्णिमा को होलिका दहन करके हम न्यू ईयर  ईव मनाते है और  अगले दिन  चैत्र मास की प्रतिपदा (परेवा) को होली खेलकर  नववर्ष  का स्वागत  करते हैं।  इस समय मौसम  मे   बहुत सुहाना होता है  बसन्त  ऋतु छाई रहती है।  पेडों  पर  नये पत्ते  नई कलियाँ विशेषकर आम जामुन पर  बौर लग जाते है  कोयल पिक आदि पेड़  पर चहकने लगते है।  भारतीय कृषक के पास रबी की फसल कट कर घर में आ जाती है अत: यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।  होली भाईचारा और आपसी सौहार्द का प्रतीक है। हम सभी को भेदभाव दूर कर प्यार से एक दूसरे के गले मिल इसे मनाना चाहिए ।  
 होली का त्योहार की पौराणिक कथा  इस प्रकार  है ।   भगवान  विष्णु के दशावतार मे से एक  अवतार नरसिंह के अवतार पर आधारित  है।    भगवान विष्णु का एक बड़ा भक्त प्रहलाद था। उनके पिता हिरणाकश्यप को अपने ऊपर बहुत घमंड था और वह स्वयं को भगवान समझता था। प्रहलाद भगवान की पूजा करता था तो उसको तरह तरह से मार डालने की बहुत कोशिश की। प्रहलाद को पहाड से नीचे फेंका, पागल हाथी के सामने डाला,खाने में जहर मिलाया लेकिन भगवान भक्त प्रहलाद हमेशा बच जाता था। अपने भाई को परेशान देखकर हिरणाकश्यप की बहन होलिका ने प्रहलाद को जान से मारने की ठानी।   उस के पास एक ओढनी थी ।  होलिका को वरदान था कि वह  उसे ओढ कर अगर आग में बैठ जाय तो आग उसे नहीं जला पायगी ,  अतः वह बालक प्रहलाद को गोद में लेकर आग मे बैठ गई लेकिन भगवान के आशीष से ऐसी हवा चली कि ओढनी हवा में उड गई।   फलस्वरूप वरदान  भी कोई काम नहीं कर सका , होलिका जल गई और प्रहलाद बच गये। तब से लोग एक दूसरे के ऊपर रगों को डाल कर खुशियाँ मनाने लगे। 



शरद कुमार  श्रीवास्तव 

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