आजकाल के छोकरे, चला रहे सब नेट।
आये कोई द्वार में, खोले कभी न गेट।।
काम धाम अब छोड़ के, करते रहते चेट।
पढ़े लिखे सब घूमते, होय मटिया मेट।।
पहले खोलो वाट्सप, देखो सब मैसेज।
कापी राइट पेस्ट कर, तू भी सब को भेज।।
भेजे ना सन्देश जो, कुप्पा उसको जान।
करे कभी ना वाह भी, बोझा उसको मान।।
रचनाकार
महेंद्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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