एक बार की बात है एक कौवा था। उसका नाम कालू था। वह बहुत बदमाशी करता था। वह खुद तो बड़ा कामचोर था और दूसरे जानवरों को बुला बुलाकर, कांव कांव करता उन्हे मूर्ख बनाता और बहुत मस्ती करता था। उसकी मुलाकात एक चालाक लोमड़ी से हुई थी जिसका नाम पिंगू था । पिंगू चतुर भी थी उसे कालू की फिजूल की हरकतों का पता चल चुका था कि कालू बिना किसी बात के जानवरों को रोक कर ऐसे ही अपना और उनका समय नष्ट करता है और उनका कांव - कांव करके उपहास उड़ाता है अतः उसने कालू को सबक सिखाने को सोचा ।
एक बार कालू कहीं से रोटी लाकर पेड़ पर खाने बैठा ही था कि पिंगू लोमड़ी वहाँ आ गई । उसने कालू से कहा तुम्हारी आवाज बहुत प्यारी है जरा मुझे अपना प्यारा गाना सुनाओ। कौआ सयाना था वह बोला पिंगू मौसी पिछली बार तुमने मेरी तारीफ कर मेरी रोटी का टुकड़ा मुझसे ले गईं थी और मेरा गाना भी नही सुना था । लोमड़ी बोली मै कहाँ ले गयी थी वह यहीं पास मे खड़े बिल्ली खा गई थी चाहे बिल्ली से पूछ लो। इतने मे बिल्ली भी आ गईं कौवे उससे कहा मौसी तुम मेरी रोटी का टुकड़ा उठाकर भागी थी । बिल्ली ने कहा मैंने तो नही लिया था अपने पेड़ पर बैठे चिंटू बन्दर से पूछो वही बहुत शैतान है उसी ने शायद लिया हो । कालू जैसे ही चिंटू की तरफ देखा चिन्टू ने झपट कर उसकी रोटी को छीन लिया । कालू काँव काँव करके उड़ गया।
दूसरो का समय नष्ट करके मुर्ख बनाने वाला कालू अगर समय रहते अपनी रोटी खा लेता तो चिंटू बंदर उससे रोटी का टुकडा नहीं छीन पाता।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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