रविवार, 25 अप्रैल 2021

"भाग्य" (सरसी छंद) स्व महेन्द्र देवांगन माटी की रचना

 





भाग्य भरोसे क्यों बैठे हो, काम करो कुछ नेक।
कर्म करो अच्छा तो प्यारे, बदले किस्मत लेख।।

जो बैठे रहते हैं चुपके, उसके काम न होत।
पीछे फिर पछताते हैं वे, माथ पकड़ कर रोत।।

जो करते संघर्ष यहाँ पर, उसके बनते काम।
रूख हवाओं के जो मोड़े, होता उसका नाम।।

कर्म करोगे फल पाओगे, ये गीता का ज्ञान।
मत कोसो किस्मत को प्यारे, कहते सब विद्वान।।

"माटी" बोले हाथ जोड़कर, करो नहीं आघात।
सबको अपना साथी समझो, मानो मेरी बात।।

रचनाकार
महेंद्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़

Mahendradewanganmati@gmail.com

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