घर की जिम्मेदारी उस पर, हर फर्ज वह निभाता है।
जब भी कोई संकट आये, तुरंत ही अड़ जाता है।।
भार उसी के कंधे पर है, सबको वह सह जाता है।
सब्जी भाजी चांँवल राशन, लेकर के वह आता है।।
करो नहीं बदनाम पुरुष को, सबकी रक्षा करता है।
अगर कहीं अन्याय हुआ तो, आगे आकर लड़ता है।।
होते हैं पुरुष साथ में तब, महिला आगे आती है।
घर परिवार और दुनिया में, इज्जत खूब कमाती है।।
रचनाकार
महेंद्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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