जाग सबेरे चिड़ियाँ चहके, कोयल गाना गाये ।
कमल ताल में खिले हुए हैं, सबके मन को भाये ।।
रंभाती हैं गैया देखो, बछड़ा भी रंभाये ।
दाना पानी लेकर अब तो, मोहन भैया आये ।।
उठ जाओ अब सोकर प्यारे, मुर्गा बाँग लगाये ।
आलस छोड़ो बिस्तर त्यागो, सबको आज जगाये ।।
माटी पुत्र चले खेतों में, हल को लेकर जाये ।
इस माटी का कण कण पावन, माथे तिलक लगायें ।।
रचनाकार
महेंद्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
Mahendradewanganmati@gmail.com
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