सोमवार, 26 जुलाई 2021

स्व महेन्द्र सिंह देवांगन की रचना जागो





जाग सबेरे चिड़ियाँ चहके, कोयल गाना गाये ।
कमल ताल में खिले हुए हैं, सबके मन को भाये ।।


रंभाती हैं गैया देखो, बछड़ा भी  रंभाये ।
दाना पानी लेकर अब तो, मोहन भैया आये ।।


उठ जाओ अब सोकर प्यारे, मुर्गा बाँग लगाये ।
आलस छोड़ो बिस्तर त्यागो, सबको आज जगाये ।।


माटी पुत्र चले खेतों में, हल को लेकर जाये ।
इस माटी का कण कण पावन,  माथे तिलक लगायें ।।






रचनाकार
महेंद्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़

Mahendradewanganmati@gmail.com


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