सुख दुख के साथी सदा, बचपन के वो यार।
खेल खेलते साथ में, लगते अनुपम प्यार।।
मिलते हैं जब मित्र से, करते रहते बात।
बात खत्म होती नहीं, बीते सारी रात।।
हरकत बचपन की हमें, रह जाती है याद।
बैठे सारे साथ में, याद बढ़ाती स्वाद।।
ऐसे मित्र बनाइये, हो उस पर विस्वास।
सुख- दुख सबको बाँटते, होता है वह खास।।
मोबाइल जब से मिले, हुये कभी ना दूर।
बातें करते रात दिन, होता ना भरपूर।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें