रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी।
चहक उठी है चिड़िया रानी।।
हरियाली पेड़ो पर छायी।
डाल-डाल पर वह लहरायी।।
गलियाँ सारी सूनी रहती।
रिमझिम पानी उसमें बहती।।
मिट्टी की खुशबू है आती।
सबके मन को वह बहलाती।।
रंग बिरंगे तितली आती।
बैठ पुष्प पर वह मुस्काती।।
पुष्प रसों को वह पी जाती।
जीवन में खुशियाँ बिखराती।।
पानी की बौछारें आती।
सब के तन मन को भीगाती।।
जब जब आती बरसा रानी।
सबको लगती बड़ी सुहानी।।
रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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