करते पूजा पाठ, पितर की करते सेवा।
मन में श्रद्धा भाव, और खाते सब मेवा।।
करते अर्पण नीर, देव को सभी मनातें।
चाँवल जौ को साथ, हाथ लेकर सब जातें।।
करतें पितृ को याद, साल में सब है आतें।
होते भगवन रूप, सभी अपने घर जातें।।
छत के ऊपर बैठ, काग को भोग खिलातें।
है पितरों का रूप, यहाँ हम सभी मनातें।।
पुरखों को दो मान, नियम उनकी अपनाओ।
मिलता है जी लाभ, हानि से नहिँ घबराओ।।
देते आशीर्वाद, खुशी जीवन में आते।
बच्चें बूढ़े साथ, सदा यूँ साथ निभाते।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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