नन्ही चुनमुन ने बगीचे मे एक फूल पर बैठी तितली को पकडने के लिये हाथ बढ़ाया तब तुरन्त उसके सुयश भैया ने आगे बढ़कर नन्ही चुनमुन को इसके लिए रोक दिया। दरअसल सुयश भैया तितली को अपने कैमरे मे कैद करना चाह रहा था । आजकल रंगबिरंगी तितलियाँ दिखती ही कहाँ है । सुयश पर्यावरण संरक्षण का प्रेमी है । उसने अपने घर मे बाल्कनी के नीचे खाली जगह पर गत्तो से एक सुन्दर घोंसला बनाया है काफी दिनो तक चिड़ियां उस घोंसले मे नहीं आई तब सुयश ने निराश होकर उस घोंसले को देखना / निहारना बन्द कर दिया था।
एक दिन चुनमुन जब सुबह जल्दी सोकर उठी तो उसके कौतुहल की सीमा न रही। दफ्ती के उस डिब्बे से चिड़िया का भरापूरा परिवार दैनिक दिनचर्या मे लीन है और ऊषाकाल मे कलरव मचाकर सुन्दर दिन का आह्वान कर रहा है । चुनमुन तुरन्त सुयश के पास गई और भाई को बुलाकर घर के कंपाउंड मे ले आई ।
सुयश ने जब दफ्ती के चिड़ियाघर मे चिड़ियों को देखा तब उसके आनंद की सीमा न रही। सुयश और चुनमुन ने घर की मुंडेर पर कुछ दाने अनाज और एक बर्तन मे पानी रख दिया ताकि इन नये मेहमानो को खाना-पानी के लिए इधर उधर नही जाना पड़े । नन्हे सुयश और चुनमुन को इस काम मे आनन्द आने लगा । धीरे धीरे वे पक्षी भी इन बच्चो के हाव-भाव से परिचित हो चले थे । नन्ही चुनमुन और पक्षियो मे मूक संवाद होने लगा। नन्ही चुनमुन पक्षियो से कहती है
खाने से पहले ब्रश बहुत जरूरी है
खाने के लिए इतनी क्या मजबूरी है
सुबह सबेरे जल्दी से उठ जाओ
ओस कणों से मुह धोकर आओ
मम्मी से अपनी छोटी करवाओ
दाना खा कौवे की शाला जाओ
यह सुनकर चिड़िया के बच्चे चुनमुन को देखकर व्यंग भरी नजरों से देखते कि इस बच्चे को यह नहीं मालूम कि कौवे से तो वे मीठे सुरीले गीत नही सीख सकते काँव काँव ही सीख सकते है और गुरुकुल के लिए उनका घोंसला भी नही होता है , हमे तो सुरीला गाना होता है । पर वे चुनमुन से कुछ नही कहते हैं और उड् जाते हैं
तितलियाँ तो अभी आई थी । सुयश चुपके से मम्मी का मोबाइल उठा लाया ओर तितलियों के कई फोटो खीच डाले
इधर पर्यावरण संरक्षण के बारे मे सुयश के क्लास मे पढ़ाया जा रहा था । पेड़ों को लगाने के महत्व को बतलाया जा रहा था । टीचर जी का कहना है कि हर बीज मे एक पेड छिपा होता है । इस बात से सुयश के मन मे उत्सुकता जगी है । उसके पापा गर्मी मे खूब आम लाए थे । सुयश कुछ आम की गुठलियों को अपने घर के बगीचे के कोने मे डाल आया था वहाँ अब आम के दस बारह पौधे तैयार हो गये थे । सुयश और चुनमुन कालोनी मे वृक्षारोपण करने का मन हुआ । चुनमुन और सुयश अपनी माँ की सहमति से घर के माली अंकल के साथ कॉलोनी के विभिन्न जगह पर बरसात मे वृक्षारोपण कर आया था।
इस बात से दोनो बच्चो को बहुत खुशी हो रही थी कि वृक्षारोपण कर के पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने एक सराहनीय काम किया है
शरद कुमार श्रीवास्तव
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