मंगलवार, 26 अक्टूबर 2021

प्रसन्न्ता का समीकरण : बालकथा कृष्ण कुमार

 


दिवाली की साफ सफाई चल रही थी। नए सामान भी आ रहे थे।

एक दिन महिला ने सफाई के दौरान अपनी किचन से सभी पुराने बर्तन निकाले। 

पुराने डिब्बे, प्लास्टिक के डिब्बे,पुराने डोंगे, कटोरियां, प्याले और थालियां आदि। 

सब कुछ तो बदलना था और सब कुछ उसकी निगाह में बहुत पुराना और बेकार हो गया था।

🙄

सभी पुराने बर्तन उसने एक कोने में रख दिए और बाजार से नए लाए हुए बर्तन करीने से रखकर सजा दिए।

😉

बड़ा ही पॉश लग रहा था अब उसका किचन। 

फिर वो सोचने लगी कि अब ये पुराना सामान कबाड़ वाले‌ को दे दिया जाए तो समझो हो गया साफ सफाई का काम,

साथ ही सिरदर्द भी ख़तम।

😘

इतने में उस महिला की कामवाली आ गई। दुपट्टा खोंसकर वो फर्श साफ करने ही वाली थी कि उसकी नजर कोने में पड़े हुए पुराने बर्तनों पर गई और बोली-

🙄 

बाप रे! मैडम आज इतने सारे बर्तन घिसने होंगे क्या? 

और फिर उसका चेहरा जरा तनावग्रस्त हो गया।

😉

महिला बोली-

अरी नहीं! ये सब तो कबाड़ वाले को देने हैं...

सब बेकार हैं मेरे लिए ।

😁

कामवाली ने जब ये सुना तो उसकी आंखें एक आशा से चमक उठीं और फिर चहक कर बोली- मैडम! अगर आपको ऐतराज ना हो तो ये एक पतीला मैं ले लूं?(कहने के साथ साथ ही उसकी आंखों के सामने उसके घर में पड़ा हुआ उसका इकलौता टूटा पतीला नजर आ रहा था)

🙄

महिला बोली- अरी एक क्यों! जितने भी उस कोने में रखे हैं, तू वो सब कुछ ले जा अगर तेरे काम के हैं तो । मेरा उतना ही सिरदर्द कम होगा।

😘

कामवाली की आंखें फैल गईं- क्या! सब कुछ?

उसे तो जैसे आज अलीबाबा का खज़ाना ही मिल गया था।

😉

उसने अपना काम फटाफट खतम किया और सभी पतीले, डिब्बे और प्याले वगैरह सब कुछ थैले में भर लिए और बड़े ही उत्साह से अपने घर के ओर निकली।

❤️

आज तो जैसे उसे चार पांव लग गए थे। 

घर आते ही उसने पानी भी नहीं पिया और सबसे पहले अपना पुराना और टूटने की कगार पर आया हुआ पतीला और टेढ़ा मेढ़ा चमचा, भगोना वगैरह सब कुछ एक कोने में जमा किया

और 

फिर अभी लाया हुआ खजाना (बर्तन) ठीक से जमा दिया।

😘

आज उसके एक कमरेवाला किचन का कोना भी पॉश दिख रहा था।

😉

तभी उसकी नजर अपने पुराने बर्तनों पर पड़ी और फिर खुद से ही बुदबुदाई- 

अब ये सामान किसी कबाड़ी को दे दिया कि समझो हो गया काम।

😉

तभी दरवाजे पर एक भिखारी पानी मांगता हुआ हाथों की अंजुल करके खड़ा था- 

मां! पानी दे।

🙄

कामवाली उसके हाथों की अंजुल में पानी देने ही जा रही थी कि उसे अपना पुराना पतीला नजर आ गया और फिर उसने वो पतीला भरकर पानी भिखारी को दे दिया।

😘

जब पानी पीकर और तृप्त होकर वो भिखारी बर्तन वापिस करने लगा तो कामवाली बोली- फेंक दो कहीं भी।

😉

वो भिखारी बोला- तुम्हें नहीं चाहिए? क्या मैं रख लूं मेरे पास?

😘

कामवाली बोली- रख लो, और ये बाकी बचे हुए बर्तन भी ले जाओ

😉 

और फिर उसने जो-जो भी बेकार समझा, वो उस भिखारी के झोले में डाल दिया।

😘

वो भिखारी खुश हो गया।

अरे, पानी पीने को पतीला और किसी ने खाने को कुछ दिया तो चावल, सब्जी और दाल आदि लेने के लिए अलग-अलग छोटे-बड़े बर्तन, और कभी मन हुआ कि चम्मच से खाये तो एक टेढ़ा मेढ़ा चम्मच भी था।

❤️

आज उसकी फटी झोली पॉश दिख रही थी ।

❤️❤️

हम सुख किसमें माने, ये हर किसी की परिस्थिति पर अवलंबित होता है।

😘 हमें हमेशा अपने से छोटे को देखकर खुश होना चाहिए कि हमारी स्थिति इससे तो अच्छी है। जबकि 

हम हमेशा अपनों से बड़ों को देखकर दुखी ही होते हैं और यही हमारे दुख का सबसे बड़ा कारण होता है।

😘 दीपावली की सफाई शुरू हो गई है, शुभकामनाएं हैं।

आपका घर नये क्रॉकरी ,कपड़े ,फ़र्नीचर से जगमग हो।

पुराने का क्या करना है, आप बहुत बेहतर जानते हैं।

*❤️ बस आपकी झोली हमेशा दुआओं से भरे, यही ईश्वर से प्रार्थना है*



कृष्ण कुमार  वर्मा

रायपुर छत्तीसगढ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें