तन-मन केसरिया में रंगकर राष्ट्र प्रेम को अपनाएं,
भगत,आजाद,सुखदेव,राजगुरु सा कर्तव्य निभाए।
देशभक्ति गीत गाकर चल केसरिया फिर लहराएं।
नील गगन तले फिर से हम,आओ तिरंगा फहराएं।
सच्चाई, साहस,बलिदान,शांति संदेश जग में पहुँचाएं,
तिरंगा थाम हाथ में डगर शहर,गाँव,विश्व में लहराएं।
"परोपकार ही परम धर्म है" मानवता का पाठ पढ़ाएँ।
सद्कर्म कर वीर पथ पर चल,आओ तिरंगा फहराएं।
नीली चुनरिया-धानी चादर ओढ़ कृषक जन मुस्काएं,
विभिन्नता में एकता का मशाल ले हिय में प्रेम जगाएँ,
सूर्य चॉंद ही नहीं मात्र यहाँ पशु पक्षी भी पूजे जाएँ,
हर्ष उल्लास-उमंग विश्वास भर, आओ तिरंगा फहराएँ।
* अर्चना सिंह जया,गाजियाबाद
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