शनिवार, 16 अप्रैल 2022

"दुर्गा माता" प्रिया देवांगन "प्रियू" की रचना



जोत जलत हे जगमग जगमग, गूँजत हे किलकारी।
नव दिन बर माता रानी हर, आये हमर दुवारी।।

लाल लाल चूरी पहिरे अउ, लाली महुर रचाये।
लाली चुनरी ओढ़े माता, मुच मुच ले मुस्काये।।
सरग उपर ले दुर्गा दाई, बघवा करे सवारी।
नव दिन बर माता रानी हर, आये हमर दुवारी।।

महाकाल अउ राम चंद्र जी, हर दुर्गा स्तुति गावै।
नारद मुनि सँग सबो देवता, माथा अपन नवावै।।
कुष्मांडा अउ गौरी मइया, सब के हवै दुलारी।
नव दिन बर माता रानी हर, आये हमर दुवारी।।

कतको धरती संकट आथे, तुरते ओला टारे।
रूप धरे काली माता के, दानव मन ला मारे।।
करे पाप कलयुग मा मानव, ओखर लाये पारी।
नव दिन बर माता रानी हर, आये हमर दुवारी।।





प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com

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