रविवार, 26 जून 2022

नन्ही चुनमुन और उसकी पेन्टिंग

 


नन्ही चुनमुन  की मम्मी घर का काम करने मे लगी हुईं थीं ।  चुनमुन ने अपनी मम्मी  को सरप्राइज  देने के खयाल  से अपनी पेन्टिंग  के  सामान अपनी मम्मी की अलमारी की दराज से निकाल  कर  बिस्तर की चादर  पर  फैला कर ड्राइंग  शीट पर एक पेन्टिंग करने के लिए बैठ गई।   

चुनमुन  के मन मे आ रहा था कि वह पार्क  का दृश्य  बनाए ।   दो दिन  पूर्व  ही उसके मम्मी पापा उसे घर के पास  के एक पार्क  मे  ले गए  थे ।   उस पार्क  मे खूब  झूले लगे थे ।   सुंदर  सुंदर  फूलो की क्यारियाँ थी ।   एक छोटे से ताल मे एक छोटा फौवारा भी था ।   ताल मे पाँच छह बतखें भी तैर रही थी ।   चुनमुन  को सबसे ज्यादा  ताल, बतख़ और  फौवारे मे दिलचस्पी थी ।   बार बार  उस छोटे  ताल के पास जाकर  खड़ी हो जाती थी

पेंटिंग  करते समय उसे बस उसी  फौवारे बतखों का ही ध्यान  आ रहा था।   नन्ही चुनमुन ने  एक पेंसिल  निकाली और  पहले  उस फौवारे का एक चित्र  बनाया

फौवारा ठीक  बना था पर थोड़ा तिरछा था ।    जिस समय  चुनमुन  ने फौवारा देखा था वह चल नहीं रहा था  इसलिए  चुनमुन  ने भी फौवारे को चलता हुआ  नहीं दिखलाया ।  अब बतखें बनाने की बारी थी ।   बतख बनाने के बारे मे उसकी मेम ने परसों ही सिखलाया था ।  चुनमुन  ने पहले एक  बतख की तस्वीर  बनाई  वह खुद समझ नही पा रही थी कि यह एक  बतख़ की तस्वीर  है ।   अतः उसने मान लिया कि यह सही मे बतख़ है  ।  फिर  उसने उसी तरह की कुछ और  बतखें बनाईं।

ताल बतखें फौवारे जब सब बन गये तब चुनमुन  को कुछ  सूना सूना सा लगा ।    शायद पानी की कमी थी ।  पानी का रूप रंग स्वरूप  का चुनमुन  को कोई  आइडिया नहीं था।   वह झट से गई और अपनी पानी की बोतल  उठा लाई तथा  ताल  के चित्र  मे बोतल  को उडेल दिया ।  ड्राइंग शीट, चादर और  चुनमुन  के कपडे गीले हो गये ।  चुनमुन  यह देखकर  रोने लगी ।    तभी चुनमुन  की मम्मी आ गईं ।  उन्होने चुनमुन  को बिस्तर  से नीचे उतारा।  गीला हो गया चित्र  हटाया । चादर  बदली और  चुनमुन  के कपडे भी बदलाये।  गनीमत  थी कि चुनमुन  ने  रंगो का इस्तेमाल  नहीं किया था।


 



शरद कुमार श्रीवास्तव 


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