शनिवार, 6 अगस्त 2022

कुण्डलिया छंद नागपंचमी रचना डॉक्टर सुशील शर्मा

 



लेझम लाठी कुश्तियाँ, वो मल्लों का युद्ध।

खुशियों का त्यौहार है, नागपंचमी शुद्ध।

नागपंचमी शुद्ध,करें सब खूब ठिठोली।

बजते प्यारे ढोल,नचे मस्तों की टोली।

कुश्ती लड़े सुशील,ताल ठोकें सहपाठी।

लड़ें अखाड़े मल्ल,चलायें लेझम लाठी।


भारत श्रेष्ठ सुराष्ट्र में,सब जीवों का मान।

जैव वनस्पति लोग सब,पाते हैं सम्मान।

पाते हैं सम्मान,सभी को अपना जानें।

पंथ धर्म सब नेक,सभी मानवता मानें।

नागपंचमी पर्व,कुश्तियाँ मल्ल महारत।

पूजे जाते नाग,यही है मेरा भारत।




सुशील शर्मा

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