बुधवार, 16 नवंबर 2022

पापा एक कहानी लिख दो, एक था राजा-रानी लिख दो। वीरेन्द्र सिंह बृजवासी की बल कविता

 बाल कविता /कहानी लिख दो!

------------------------------------




पापा एक कहानी लिख दो,

एक था राजा-रानी लिख दो।


राजा   बड़ा    विनम्र   बेचारा,

था  सबकी  आंखों  का  तारा,

सबको  हँसकर  गले  लगाता,

पीड़ाओं  को   तुरत   मिटाता,

लेकिन   रानी  सूरत   से   ही,

लगती बड़ी  सयानी लिख दो।


भूखों   की   बस्ती   में  जाता,

खाने   की    चीजें    बंटवाता,

प्यासे  जन-मानस को  अपने,

हाथों   से   पानी    पिलवाता,

कर्कश  रानी  धन-दौलत  की,

रहती सदा  दिवानी  लिख दो।


राजा   जब   दरबार   लगाता,

सच्चा - सच्चा  न्याय  सुनाता,

अपराधी के  साथ  कभी  भी,

दया  भावना   नहीं   दिखाता,

इसके  उलट  स्वयं  रानी  की,

लालच भरी कहानी लिख  दो।


बच्चों   को   उपहार   बांटता,

नहीं किसी को कभी  डाँटता,

गोदी   लेकर   बड़े   प्यार  से,

घोड़ा - गाड़ी   स्वयं   हाँकता,

भीतर   ही   भीतर  रानी   के,

उठती हूक  सुहानी  लिख दो।


मचल गया  रानी का मन भी,

छूने  को बच्चों  का  तन  भी,

हाथ  पकड़  सारे  बच्चों  का,

चली  घूमने  वह   उपवन भी,

पूछा  राजा   ने,   बच्चों    से,

कैसी  है  महारानी  लिख  दो।

     


        वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

           9719275453

                 ----😊---

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें