शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

भैया की साइकिल : वीरेन्द्र सिंह बृजवासी

 


लाए भैया  नई  साइकिल,

बोले    टन   - टन  -  टन,

करती  रोज़ हवा से  बातें, 

चलती   सन-  सन - सन।


कोमल सी गद्दी है उसकी,

प्यारे          से       पैडल,

थोड़ी  सी  दूरी  को  भैया,

चले        कौन       पैदल।


एक इशारे  से  लग  जाते,

साइकिल       के      ब्रेक,

हटो-हटो  चिल्लाने लगती,

घंटी         शब्द    अनेक।


शानदार  हैं  हेंडल  उसके

चक्के      गोल      मटोल

कहे कैरियर  बैठो मुझपर

करो      न     टालमटोल।


आगे लगी  कंडिया इसकी

बढ़ा      रही     है     शान 

फल,मेवा,मिष्ठान सब्ज़ियां,

लाती       सब      सामान।


दांतों  फंसी  चेन  को भैया,

जब         तेज़        घुमाते,

जितना  तेज  चाहते  उतना,

वह      साइकिल     दौड़ाते

    


      वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

          9719275453

                 --😊--

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